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________________ संबंध छे, तथा पहेला सूत्र साथे आ संबंध छे. "सुर्यमेआउसंतेणं" इत्यादि में भगवान पासे आ प्रमाणे सांभळ्यु विगेरे छे. आचा० प्रश्न-में शुं सांभळ्यु ? उत्तर--जे गुणो सेमल ठाणे इत्यादि जे गुजरातीमां सर्वनाम छे, ते एक वचनमा छे. ते एम सूचवे 8छे के जेना बडे गुणाय भेदाय अथवा विशेष बतावे ते गुण छे अने अहीं ते शब्द, रुप, रस, गंध, अने स्पर्श, विगेरे छे, अने सूत्रम् ॥२७९॥ द मूळ एटले ते निमित्त कारण छे, अने प्रत्यय ते पर्यायो छे, ते जेमां रहे ते स्थान छे. मूळमां स्थान ते मूळस्थान छे, अने ते वा- 10 ॥२७॥ क्योनुं विवेचन करनार छ, तेथी ते न्याये जे शब्दादिक काम गुण छे, तेज संसाररुप चार गति नारक तिर्यंच, मनुष्य, देवतुं मूळ छे, ते मूळ कारण कपायो छे, तेओनुं स्थान एटले आश्रय छे, ते आश्रय ज्यारे सुंदर अथवा कठोर शब्द विगेरे प्राप्त थाय त्यारे कषायनो उदय थाय छे अने तेथी संसार छे.. अथवा मूळ ते कारण अने तेज आठ प्रकारनां कर्म छे तेनुं स्थान आश्रय ते काम गुण छे. अथवा मूळ ते मोहनीय कर्म अथवा तेनो भेद काम (संसारी इच्छा) छे, तेनुं स्थान शब्द विगेरे विषय गुण छे अथवा मूळ 2 ते शब्दादिक विषय गुण छे, तेनुं स्थान इष्टअनिष्ट विषय गुणना भेदवडे व्यवस्थामा रहेलो गुणरुप संसारज छे. अथवा आत्मा पोते शब्दादि उपयोगथी एक पणे होवाथी ते गुण छे अथवा मूळ ते संसारमा तेना स्थान रुपे शब्द विगेरे छे, अथवा कषायो छे, तथा गुण पण शब्दादिक अथवा कपायथी परिणत थएलो आत्मा संसारनुं मूळ छे, तेनुं स्थान शब्दादिक छे, ४ अने गुण पण तेज छे, तेथी वधी रीते सिद्ध थयु के जे गुण तेज मूळ स्थान छे. -SCREE+RECR5 GANGREECE5CESS R A -%
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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