SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्तो य इमो चिंतइ मज्झ घरं जस्स एरिसी घरिणी | हिययाउ अवइरित्ता विणयपरा सीलकलिया य । सयणाण य सव्वेसिं जहोचियं देइ वत्थमाईयं । धणसंतियं तओ चिय सलहिजइ सा इमेहिं पि ॥७॥ तत्तो रंगियहियओ परिभमइ धणो गुणेहिं भजाए । घरघरणिसयणपडिबद्धमाणसो चिट्टइ सया वि॥ तस्स य बहुवुद्धिजुओ विमलो नामेण अत्थि वरमित्तो । सावयधम्मम्मि दढो तस्संसग्गीह तो जाओ। | भद्दगभावम्मि धणोऽवि अन्नया आह तं विमलमित्तो । भद्द ! न भज्जा तुह संदरा इमा ता पयत्तेण ॥ रक्खेजसु अप्पाणं मा भणिहिसि जं न मज्झ केणावि । कहियमिणं विसमाणि य महिलाचरियाई जं भणियं ॥११॥ महिला हु रत्तमेत्ता उच्छुक्खंडं व सकरा चेव | हरइ विरत्ता सा जीवियं पि कसिणाहिगरल व्व ॥१२॥ गंगाए वालुयं सायरे जलं हिमवओ य परिमाणं । जाणंति बुद्धिमंता महिलाहिययं न याति ॥१३॥ इय सोउं विम्हइओ धणोऽवि चिंतेइ हा ! किमेयं ति । नासंबद्धं जंपइ मह मित्तो ता जुगतेऽवि ॥१४॥ एसा य जहा दीसइ तहा वि जइ वभिचरंति नारीओ । ता कत्थ समासासो कीरउ ? इय सल्लिओ जाव । सो चिट्टइ ता समयवि भज्जाए उत्तरीयमन्नदिणे । पेच्छइ विडस्स पासे कहमवि नयरे परिभमंतो। PI तो अत्ति गिहे गंतं पभणइ भजंतु उत्तरीयं जं । अमुगं चिट्टइ तेणऽस्थि मज्झ कजं इहं कि पि ॥१७॥ -- • - su
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy