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________________ भवभावना प्रकरणे अथ देशविरतिचारित्रेण देवत्वप्राप्तौ श्रेष्ठिधनञ्जयाख्यानकमुच्यते नामेण कुणाला एत्थ पुरवरी जीए पुरिसमिहुणाणं | सुरमिहुणेहिं विसेसो नयणनिमेसेण होइ फुडो ॥ १ धणओ नामेण तहिं सेट्ठी चत्तारि तस्स अंगरुहा । विणयाइगुणसमग्गो धणंजओ नाम ताण लहू ॥२॥ सोय समए कलाओ अहिजमाणो तहा कुणइ विणयं । अज्झावयस्स जह सो पेच्छइ तं निययतणयं व ॥३॥ देह तह तस्स जोइणिसाइणिभूयाइ निग्गहकरीओ । विज्जाओ अणेगाओ अहन्नया नयरमज्झम्मि ||४|| परिभमाणो एसो संपत्तो कह वि जूयसालाए । कोऊहलेण जूयं निरिक्खए जाव उद्धटिओ ॥५॥ तो सो दिट्ठो जूईरेहिं नाओ य ईसरसुओ त्ति । भणिओ य भद्द ! तुह संतियं इमो रमइ जूइयरो ॥ तुसिणीओ चिट्टे संचलिओ जा खणंतरे एसो । ता समकालं जूईयरेहिं भणियं इमं एत्थ ||७|| हारसि पंच साई दम्माणं ताण गहणयं देसु । गहियाओ कराओ मुद्दियाओ एवं भणेऊण ॥८॥ हम्म गओ तो सो पिउणा नायम्मि वइयरे बाढं । निव्भत्थिओ गहेडं वत्थाणि य खिवइ ओयरए । तत्तो वसणविरहिओ नग्गो चिंतेइ पेच्छ जो पुरिसो । नियववसायविरहिओ परिहवणीओ हवइ एवं । तावत्थं परिहिस्सं नियववसायज्जियं चिय न अन्नं । तो भाज्जायाहिं भणिओ अन्नेहिं वि सुबहुयं । | देश विरति चारित्रेण | देवत्व प्राप्ती धनंजय श्रेष्ठि कथा ॥ २९० ॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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