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________________ १ ... - सिद्ध वि. १६१ anuuuuuN सब विधि अपने विघ्न निवारण, औरन विघ्न विडारी। मंगलमय अर्हत सर्वदा, नम मुक्ति पदधारी ॥२३॥ ह्री अहंन्मगलाय नमः अध्यं ।। चक्षु आदि सब विधन विदूरित, छाइक मंगलकारी । यह अर्हत दर्श पायो मै, नमू भये शिव कारी ॥२४॥ ॐ ह्री अर्हन्मगदर्शनाय नमः अध्यं । निजपर संशय आदि पाय विन, निरावरण विकसानो। मंगलयय परहंत ज्ञान है, बन्दू शिव सुख थानो ॥२५॥ ॐ ह्री अर्हन्मगलज्ञानाय नमः अध्यं । परकृत जरा आदि संकट विन, अतुल बली अहंता। नमू सदा शिवनारी के संग, सुखसों केलि करंता ॥२६॥ ___ह्री अर्हन्मगलवीर्याय नमः मध्यं । पापरूप एकान्त पक्ष विन, सर्व तत्त्व परकाशी । द्वादशाग अरहन्त कहो मै, नमूभये शिववासी ॥२७॥ ॐ ह्री अर्हन्मगलद्वादशागाय नमः अध्यं । . षष्ठम् nnnnnnnnnnirmnnnnu innaurav
SR No.010799
Book TitleSiddhachakra Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherVeer Pustak Bhandar Jaipur
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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