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________________ श्रीउपदे- बुद्धिलकुक्कुडस्स नेच्छेइ । जुझं कहंचि लग्गं सागरदत्तो जिओ तेण ॥ २३६॥ एत्वंतरम्मि भणिया वरधणुणा सेट्ठि- १चोल्लको - नो भासियंदारणम् . शपदे हा नंदणा दोवि । एसो किं उत्तमजाइगोवि इय कुक्कुडो भग्गो? ॥ २३७ ॥ ता पेच्छामि न कुप्पह जइ तुब्भे, भासियं पहिडेण । सागरदत्तेण न मे लोभो एत्थत्थि दबकओ ॥ २३८ ॥ किंतु अभिमाणसिद्धीइ कज्जमम्हं तओ य मंतिसुओ। ॥१२॥ पेच्छइ वुद्धिलकुक्कुडमह तच्चलणेसु दिट्ठाओ ॥ २३९ ॥ सण्हाउ लोहमइयाउ सूइआओ नहेसु बद्धाओ। तो बुद्धिलेणी णायं जह विन्नाओ वइयरो मे ॥ २४०॥ सणियं समीवदेसं तस्सागंतूण भासियं तेण । मा पयासु वइयरमेयमद्धगं ते पयच्छामि ॥२४१ ॥ पणलक्खस्स, वरधणू भणाइ मेच्छा न किंचि पेच्छामि । तह बुद्धिलो न याणइ जहा तहा स-14 15 निओ इयरो ॥ २४२ ॥ तेणावि कड्डियाओ सूईओ तह नहग्गलग्गाओ। आभेडिओ तओ पुण स तंवचूडो पराजि-2 णिओ ॥ २४३ ॥ पडिकुक्कुडो स बुद्धिललक्खोवि य हरिमागओ ताहे । जाया दोवि सरिच्छा सागरदत्तो य बहुतुहो| ॥ २४४ ॥ ते दोवि नेइ नियमंदिरम्मि आरोविओ रहं रम्मं । विहिओचियपडिवत्ती ते तत्थ नयंति केवि दिणे ॥२४५॥ 15 तन्नेहनियडिया आगओ य अह अन्नया नरो एगो । नीओ एगंते तेण वरधणू भासिओ एवं ॥ २४६ ॥ जो सूइवइयरे जं पणम्मि तुह बुद्धिलेण पडिवण्णो । दीणारअद्धलक्खो तस्स निमित्तं तुहं पहिओ ॥ २४७॥ हारो चालीससहस्समोल्लओ वोत्तुमिय समप्पेओ। हारकरंडगमह सो गओ तओ कडिओ हारो॥ २४८॥ सारयससहरकिरणुकरो व परिपंडुरीकयदिसोहो । आमलगथूलनित्तुलनिम्मलमुत्ताफलधरो सो॥ २४९ ॥ सो दंसिओ कुमारस्स तेण निउणं निभाल ॥१२॥ यंतेण । दिट्ठो नियनामको तदेगदेसहिओ लेहो ॥ २५०॥ आपुच्छिओ वरधणू कस्सेस वयंस! संतिओ लेहो । सो मि तुह बुद्धिलेण पाडवह सो गओ तओं कासो दंसिओ कुमारस्त हो । सो
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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