SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -- - - F २२१॥ एत्तो तओ भमंतो कवडेण गओ विलोयणपहम्मि । विहिया पलायसु मए तुह सन्ना तो कया वयणे ॥२२२॥ परिवायगदिन्ना वेयणाइ संहारकारिणी गुलिया । जाओ विचेयणो तो मओत्ति णाऊण परिचत्तो ॥ २२३ ॥ तेसु गएमु चिराओ गुलिया सा कड्डिया मुहाउ मए । लग्गो गवेसिओ तं सुमिणेवि न कत्थइ दिट्ठो ॥ २२४ ॥ एगं गाममइगओ दिट्टो परिवायगो मए तत्थ । सप्पणयं पणमित्ता कोमलवयणेहिं आभट्ठो ॥ २२५॥ तेणुत्तं तुह पिउणो वसुभागो नाम परममित्तमहं । कहियं च तुज्झ जणओ पलायमाणो वणम्मि गओ ॥ २२६ ॥ माया ते चंडालाण पाडगे दीहराइणा ठविया । तदुक्खगहिल्लो चल्लिओ य कंपिल्लणगरमहं ॥ २२७ ॥ काओ कावालियवेसमित्थ पत्तो तओ पवंचेण । केणवि अमुणितण पाडगाओ तओ जणणी ॥ २२८ ॥ अवहरिया पिउमित्तस्स देवसम्मस्स माहणस्स गिहे । मुक्का गामे एगम्मि तुम्ह अण्णेसणपरो हं ॥ २२९ ॥ इहमागओ म्हि चिट्ठति जाव सुहदुक्खपुच्छणपयट्टा । ते दोवि ताव जएको आगम्म नरो इय भणेइ ॥ २३०॥ भो भो महाणुभावा! न किंचि तुम्हाण हिंडियवेण । जम्हा दीहनिउत्ता पत्ता जमसपिणभा पुरिसा ॥ २३१॥ ते दोवि लहुं ताओ वणगहणाओ कहिंचि निग्गंतुं । महिमंडलं भमंता पत्ता कोसंविनामपुरि ।। २३२ ॥ बहिरुज्जाणे दिढ सिट्ठिसुयाणं महल्लविहवाण । सागरदत्तो अह बुद्धिलो य इह रूंढनामाणं ॥२३३॥ लग्ग पाडजुझं सयसाहस्सो पणो को तत्थ । निहओ सागरदत्तस्स कुक्कडेणं पयंडेणं ॥२३४॥ सेविसुयबुद्धिलकुको तओ तेण इयरओ निहओ। रणलग्गभग्गचित्तो सागरदत्तस्स कुक्कडओ ॥ २३५॥ किजंतोवि अभिमुहं सो पर। ॐॐॐॐॐॐॐॐॐ - -- -
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy