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________________ श्रीउपदे- शपदे ॥७९॥ SARA SUPORTE PARA SIRAS सणं च विहियं हिमगिरिसिहरं व अइतुंगं ॥ ६७ ॥ उवविट्ठो तत्थ जिणो सियचामरचारुवीइयसरीरो । ताडियगहीरहुँ- चित्रकारदुहिभंकाराऊरियदियंतो ॥ ६८॥ मिलिओ मिगावईपमुहनयरिलोओ निवो य पज्जोओ । विहिओ पूयापमुहो सकारो पुत्रहरु तित्थनाहस्स ॥ ६८॥ पारद्धा धम्मकहा पीऊसावरिससरिसवाणीए । धम्मे कहिजमाणे सबरसरूवो नरो एगो ॥७॥ - लोयप्पवायवसओ एसो किल कोइ एत्थ सव्वण्णू । निच्छयमिमं धरतो मणम्मि पुच्छेउमाढत्तो ॥ ७१ ॥ ताहे भणिओ) जयजीववंधुणा भगवया जहा सोम! । वायाइ पुच्छ बहवे सत्ता जं बोहिमुवइंति ॥ ७२ ॥ एवं भणिओवि स लज्जमाणमाणसवसेण पडिभणइ । भयवं! जा सा सा सा आमंति परूविए पहुणा ॥ ७३ ॥ पभणइ गोयमसामी जा सा सा सत्ति किं भणियमिमिणा । उहाणपारियावणियमाह एयस्स तो भयवं ॥ ७४ ॥ जहा;-चंपा णामेण पुरी पुरोगमा पुरवराणमिह अस्थि । इत्थीलोलो परिवसइ तत्थ एगो सुवण्णारो ॥ ७५॥ सो पंच सुवण्णसए दाऊणं कण्णगाण जा जत्थ । रूवगुणमणहराओ सगउरवं ताउ परिणेइ ॥७६॥ एवं पंचसयाई तासिं संपिंडियाई, पत्तेयं । कारेइ अलंकारं है तासिं सो तिलयचउदसमं ॥७७ ॥ जम्मि दिणे जीइ समं भोगं भुंजेउमिच्छइ तम्मि । सव्वमलंकारं देइ तीइ नो अण्णदिवसेसु ॥ ७८ ॥ सो अच्चंतं ईसालुओत्ति गेहं कयाइ नो मुयइ । नय अन्नस्स पवेसं वियरइ मित्तस्सवि गिहम्मि ॥७९॥ अन्नदिणे मित्तगिहे अच्चंतुवरोहपरिगओ संतो। वदंतम्मि पगरणे गओ तओ चिंतियमिमाहिं ॥८॥ पइरिकमज्जमुहै वलद्धमेयमइभूरिकालओ कहवि । ता ण्हामो मंडेमो आविद्धामो अलंकारे ॥ ८१॥ विहियं ताहिं तह चेव सव्वमाद- ॥ ७९ ॥ रिसवग्गहत्याओ। जा पेच्छंति समंगं सहसा सो आगओ ताहे ॥ ८२॥ अइरोसारुणनयणो दणं ताउ अन्नरूवाओ। CERICASALAESSAGACASSESEX
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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