SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . ॐ गिन्दद करेण एक पिटेइ य जा गयं जीवं ॥ ८३ ॥ अन्नाहिं चिंतियं नृणमेस अम्हेवि मारिही रुट्टो । ता आदरिसगपुंज एवं कुणिमो तो मुका ॥ ८४ ॥ एगूणा पंचसया अदागाणं तओ मओ सोवि । तक्खणमेव विसण्णाउ ताउ ही केरिसं जायं ।। ८५॥ पइमारियाउ एया इय असलाहा जणे परिभमिही। तो पत्तकालमेयं जं किज्जइ मरणमिण्हंपि, ४॥८६॥ इय एगीभूयमणाहिं ताहिं दारं घणं पिहित्ता णं । दिन्नो गिहम्मि अग्गी को य नियजीवियच्चाओ॥ ८७॥ पच्छायायेणं साणुकोमभावेण कामनिजरया । लद्धो मणुस्सभावो एयम्मि गिरिम्मि सव्याहिं ॥ ८८॥ सो पुण सुवन्न गारो अवसट्टो तिरिक्खो जाओ । जा सा पढमं पया सा एगभवंतरंतरिया ॥ ८९ ॥ वंभणकुलम्मि चेडो आयाओ 1 मो य पंचमे वरिसे । जा बद्दर ता सो हेमकारजीवो तिरिक्खत्तं ॥ ९० ॥ उज्झित्तु कुले जाया तम्मि य धूया अईव म्यबई । बालत्तणेवि वेओ तीए अइउकडो उदिओ ॥ ९१॥ जाओ सरीरदाहो निचं चिय रुयइ नो धिई लहइ । ता चेडेणं तेणं पोप्पयमुअरे कुणंतेणं ॥ ९२ ॥ पहया जोणिदारे हत्थेणं कहवि नो रुयइ ताहे । नायं तेणुवलद्धो चिरा मए परिमोबागो॥१३॥ मो रत्तीइ दिवा वि य लज्जाचाएण तं तहा काउं। आढत्तो जणगेहिं नाओ निद्धाडिओ हणिओ ॥१४॥ भइयवमा अपत्ततरुणत्तणावि सा नट्ठा । सो पुण चेडो अचिरेण दुट्टसीलत्तणं पत्तो ॥९५॥ जाओ य चोरपल्लीइ जत्थ एगृणगाणि चोराण । तेसिं पंच सयाई सिणेहबद्धाई निवसंति ॥ ९६॥ सा पुण माहणधूया पइरिक हिंडमाणिगा पगं । गामं गया स चोरेहि तेहिं परिमुसिउमारो॥९७॥ गहिया य तेहिं नवजोव्वणत्ति पायडियनियरुई किंचि। दिभुत्ता कमेण सव्वेदिं एवमेसा गमद कालं ॥ ९८ ॥ जाया तेसिं चिंता कह वरई अम्ह सुरयसम्मदं । एगागिणी इमा -5604 १ 55
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy