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________________ शपदे ॥४८॥ मालवमंडलमंडणभूया नयरी समुद्धरधणोहा । नामेणं उजेणी समत्थि वित्थिण्णसुरभवणा ॥१॥ तत्थ रिउपक्स- औत्पत्तिविक्खोहकारओ सइ गुणी सुदढपणओ। आसी जियसनुनामा नरनाहो नयगुणसणाहो ॥२॥ सो भुंजइ निरवजंक्यां 'भरके नियरजं चोजकारगं भुवणे। धम्मत्थकामपुरिसत्वसुंदराराहणपहाणो ॥३॥ नाडयनट्टकहाणयगीयाइसु कोसलं परं तशिला' पत्तो। कोऊहलतरलमणो सविज्जजणजोग्गकज्जेसु ॥४॥ अह उज्जेणिसमीवे अत्थि सिलासंगओ सिलागामो । गुणनिष्फा- प्रभृति ज्ञाइयनामो गामो भरहो य तत्थ नडो॥५॥ सो नाडयविज्जाए लद्धपसंसो पहू य तग्गामे । णामेण रोहओ सोहओ य% तानारोहगामस्स तस्स सुओ॥६॥ अह अन्नया कयाइवि रोहयमाया मया, तओ भरहो। अण्णं तज्जणणिं संठवेइ घरकजकर- कनिदर्शनणकए ॥७॥ बालो य रोहओ सा य तस्स हीलापरायणा हवइ । उप्पत्तियबुद्धिसमन्निएण तो तेण सा भणिया ॥८॥ गर्भितसप्रअम्मो! ममं न वद्दसि जं सम्म, सुंदरं न त होही । तह काहमहं एत्तो जह तं पाएसु मे पडसि ॥९॥ एवं वच्चइ कालो 9 पञ्चविवअहण्णया ससिपयासधवलाए । रयणीइ जणगसहिओ पासुत्तो एगसिजाए ॥ १०॥ तो रयणिमज्झभागे उद्वित्ता उन्भ रणम्. 5 एण होऊणं । दट्टण नियं छायं काउं परपुरिससंकप्पं ॥११॥ उच्चसरेणं जणओ उहाविय भासिओ जहा ताय । ६ पेक्खसु परपुरिसो एस जाइ सहसुट्टिओ कोइ ॥ १२॥ जाव स निद्दामोक्खं काऊणं लोयणेहिं जोएइ । ताव न दिट्ठो पुट्ठो य वच्छा! सो कत्थ परपुरिसो? ॥ १३ ॥ भणिओ तेण इमेणं दिसाविभागेण तुरियतुरियं सो। गच्छंतो मे दिट्टो है 8 मा मण्णसु अण्णहा तायः ॥ १४॥ परिकलिय नहसीलं महिलं सिढिलायरो तओ तीए। भरहो सम्भावपयंपणाइर-ॐ॥४८॥ हिओ तओ जाओ ॥१५॥ पच्छायावपरिगया सा भासइ कुणसु वच्छ! मा एवं । सो भणइ न मम लट्ठ वट्टसि, साल
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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