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________________ बेइ वहिस्सं ॥१६॥ तह कुणसु जहा एसो तुह जणओ मज्झ आयरं कुणइ । पडिवन्नमिमं रोहण सावि तह वहिउँ लग्गा ॥ १७ ॥ तह चेव रयणिमज्झे कयावि सुत्तुढिओ भणइ जणगं । सो एस एस पुरिसो कहिंति पुट्ठो य पिउणावि ॥ १८ ॥ तो निययं चिय छायं दंसित्ता भणइ पेच्छह इमं ति । स विलक्खमणो जाओ पुच्छइ किं एरिसो सोवि? P॥१९॥ आमंति तेण भणिए अवो वालाण केरिसुल्लावा । इय चिंतिऊण भरहो घणराओ तीइ संजाओ॥२०॥ तो विसपयाणभीओ पिउणा सह रोहओ सया जिमइ । अह उज्जेणिमगओ कयाइ जणएण सद्धिं सो ॥ २१॥ दिट्ठा न यरी तियचच्चराइदेसोवसोहिया सवा । दिवसावसाणसमए गामाभिमुहं पडिनियत्ता ॥ २२॥ सिप्पानईइ पत्ता वालुहायपुलिणम्मि तो सुयं ठविउं । पम्हुट्टगहणहेउं पुणोवि नयरिं गओ जणओ ॥ २३ ॥ तो रोहेण अइनिउणवुद्धिणा तम्मि वालुयापुलिणे । तियचच्चराइकलिया लिहिया नयरी सपायारा ॥ २४ ॥ अह जियसत्तू राया नयरीवाहिं गओ पडिनियत्तो। पंसुभएणेगागी तुरयारूढो तहिं देसे ॥ २५ ॥ जावेइ तुरियवेगो भणिओ ता रोहगेण मा वच्च । पुरओ किं न नियच्छसि रायउलं तुंगपासायं ॥२६॥ कत्तो रायउलं इह जा भणइ नराहिवो तओ जाओ। सउणो अइभूरिगुणो सवियको तो निवो जाओ ॥ २७ ॥ तो रोहएण नयरी सवित्थरं तं च राउलं कहियं । तुभं क |णिओ रन्ना, तओ भणइ ॥ २८॥ इत्थेव सिलागामे भरहस्स सुओ वसामि कज्जेण । पिउणा सद्धिं इह आगओम्हि, संपइ तहिं जामि ॥ २९॥ रण्णो पंच सयाई मंती एगणगाई अह संति । जो चूडामणिसरिसो तेर्सि तं मग्गए एकं॥३०॥|| तत्तो सणमेत्ताओ काओ कज्जाई आगओ भरहो। तेण समं संपत्तो स रोहओ निययगामम्मि ॥ ३१॥ आरद्धं नरव उ.प.म.९
SR No.010796
Book TitleUpdeshpad Mahagranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratapvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohan Mala
Publication Year1979
Total Pages1008
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size45 MB
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