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________________ ५४४ युगवीर-निवन्धावली ग्रन्यकी विषय-सूची, ५ गाथासूची, ६ छायासूची, ७ प्रस्तावनामे उल्लिखित खास-खास शब्दो तथा नामोकी वृहत् सूत्री (General Index )। पहली और चौथे नम्बरकी दोनो विषय-मचियोको छोडकर शेप सव सूचियाँ अकारादि ब्रमसे लिखी गई है । अन्तिम वृहत्स्चीके अन्तम मुझे यह देखकर वहुत प्रसन्नता हुई कि वह सूची कुमार देवेन्द्रप्रसादजीकी धर्मपत्नी श्रीमती 'श्रीकान्तकुमारी देवी' के द्वारा तैयार हुई है। भारतकी स्त्रियाँ यदि योग्यता प्राप्त करके अपने पुरुपोको उनके कार्योमे इस प्रकार सहायता देकर वास्तविक सहधर्मिणी बनने लगें तो देशका वहुत कुछ उद्धार हो सकता है । अस्तु । ग्रन्थमे एक १८ पेजका परिशिष्ट भी लगाया हुआ है, जिसमे ( A ) जिन और जिनेश्वर, (B) जैन देवता, (C) द्वीपायनकी कथा, ( D ) शब्द, (E) धर्म और अधर्मास्तिकाय, ( F ) ध्यान, इन सब बातोके सम्बन्धमे कुछ जरूरी सूचनाएँ दी गई हैं। इस प्रकार द्रव्यसग्रहके इस सस्करणको एक उत्तम और उपयोगी सस्करण बनानेकी हर तरहसे चेष्टा की गई है । इसके तैयार करनेमे जो परिश्रम किया गया है वह नि सन्देह बहुत प्रशसनीय है। और यह कहनेमे मुझे कोई सकोच नही हो सकता कि हिन्दीमे अभीतक इसकी जोडका कोई सस्करण प्रकाशित नही हआ। सव मिलाकर इस सस्करणकी पृष्ठ-सख्या ३१८ है ( ३८१ नही, जैसाकि पहली सूचीके अन्तमे सूचित किया गया है)। मूल्य इस सस्करणका, पृष्ठ-नोटिस्से साढे पाँच रुपये मालूम होता है, परन्तु किसी नोटिसमे मैने साढे चार रुपये भी देखा है। यह ग्रन्थ एक दूसरे मोटे किन्तु हलके कागज पर भी छपा है । शायद वह मूल्य उसका हो। ___ इस ग्रथके प्रकाशित करनेमे जो अर्थव्यय हुआ है, उसका
SR No.010793
Book TitleYugveer Nibandhavali Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1967
Total Pages881
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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