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(२) अकादशी कथा भाषा । रचयिता- पानंदराम । रचना संवत् १४२ शुरुचि०० १०। आदि
गुरु गणेश गिरि कन्यका, गौरी गिरिश गुहेस । वासुदेव की याद करि, पद पंकज रजतेश ॥ १ ॥
कादशी प्रमुख कथा, कृत की विविध पुरान । तिनकी भाषा चौपई, रचयितु सुगम निदान ॥२॥ विविध निदान सुधा उदधि,विक्रमपुर अभिधान । राजत तिहाँ अनूप सुत, नृपमनि नृपति सुजान ॥ ३ ॥ नृप अनूप मंत्री वरण, शेखर बुद्धि निधान । नाजर आनदराम यह, विरचत भाषा ज्ञान ॥ ४ ॥ संस्कृत वानि बजान जन, बिमल ज्ञान के हैत । आनंदराम प्रमान करि, रथ्यौ अरथ संकेत ॥ ५ ॥
अन्त
कथा युधिष्ठिर सौ कयौ, प्रत कामद परकार । जा सेवत नर कामना, फल पावै विस्तार ॥ १५ ॥ ताको माषा चौपई, मुख समुझन के हेत । नाजर पानंदराम यह, रच्यो धरथ संकेत ॥ १६ ॥
इति श्री भविष्योत्तर पुराणे, कृष्ण युधिष्ठिर संवादे, पुरुषोत्तम मास कृष्णा कामदा नामकादशी व्रत कथा भाषा संपूर्ण ।
युग पुनि शैल हिमांशु ' मिली संबन्सर शुचि मास ।
कृष्णपक्ष दशमी दिनै, मयौ ग्रन्थ परकाश ॥ १ ॥ लेखन काल संवत् १८७२ वि० प्रति-गुटकाकार
(२) कार्तिक माहात्म्य- रचयिता-कवि द्विजतीर्थ-रचना सम्वत् १७२६ ।