________________
राजस्थान विश्व विद्यापीठ उदयपुर ने राजस्थान के हस्तलिखित हिन्दी ग्रंथों के विवरण का प्रकाशन कार्य हाथ में लेकर बहुत ही आवश्यक उपयोगी कार्य किया है। अभी तक इस विवरण संग्रह के तीन भाग प्रकाशित हो चुके है और चौथा यह पाठकों के हाथ में है। प्रथम भाग का संकलन श्री मोतीलाल मेनारिया और तीसरे भाग का श्री उदयसिंह भटनागर ने किया है। प्रथम भाग के प्रकाशन के साथ ही मैंने यह विवरण संग्रह का कार्य हाथ में लिया था और केवल अज्ञात हिन्दी ग्रन्थों का विवरण ही छांटे गये तो उनकी संख्या ५०० के करीब जा पहुँची। अतः उन्हें दो भागों में विभाजित करना पड़ा, जिनमें से पहला भाग सं० २००४ में प्रकाशित हुआ जिसमें १ नाममाला, २ चन्द, ३ अलंकार, ४ वैद्यक ५ रत्न परीक्षा, ६ संगीत, ७ नाटक ८, कथा, ऐतिहासिक काव्य, १० नगर वर्णन, ११ शकुन सामुद्रिक ज्योतिप स्वरोदय रमल, इन्द्रपाल १२ हिन्दी प्रन्थों की टीकाएँ। इन १२ विपयों के १८६ ग्रंथों का विवरण प्रकाशित हुए थे। सात वर्ष बी। जाने पर इस प्रन्थ का आगे का भाग प्रकाशित हो रहा है इसमें ११ विषयों के हिन्दी ग्रन्थों का विवरण है और तत्पश्चात इस भाग की पूर्ति के साथ पूर्ववर्ती भाग की पूर्ति उन ३ विषयों के नवीन ज्ञात ग्रन्थों के विवरण देकर की गई है। इस भाग के विषयों की नामावली इस प्रकार है:
१ पुराण, २ रामकथा, ३ कृष्ण काव्य, ४ संत माहित्य, ५ वेदान्त ६ नीति, ७ शतक, ८ बावनी, बारबड़ी बत्तीसी, ६ अष्टोत्तरी-छत्तोमी, पचीसी श्रादि १० जैन साहित्य, ११ बारहमासा ! इन विषयों के विवरण लिये गये ग्रन्थों की संख्या क्रमशः १५, ६, १६-१, १५,११-२,१०-१,१०-२, २०-३, ४.२३-५४,२० हैं, इस प्रकार कुल २१३ पंथों का विवरण है तत्पश्चात् पूर्व प्रकाशित द्वितीय भाग के ४८ ग्रन्थों का विवरण है । कुल २६१ ग्रंथों के विवरण इस पंथ में दिये गये है। अनुक्रमणिका से यह स्पष्ट ही है । हिन्दी साहित्य में किस किस विषय के कितने प्राचीन अंथ है इसकी जानकारी के लिये विवरण का विषय विभाजन कर दिया गया है।
प्रस्तुत ग्रन्थ में लिये गये विवरण बीकानेर, जयपुर, जैसलमेर, रतननगर, चूरू, भोनागर, मथानिया, चितौड़ आदि स्थानों के ३१ संग्रहालयों को प्रतियों के हैं। उनकी पूनि ३.१ प्रकार है: