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भाग प्रकाशित हो चुका है। सूची का तीसरा भाग भी तैयार होने की सूचना मिली है।
राजकीय संग्रहालयों में से अनूप संस्कृत लाइब्रेरी के हस्तलिखित संस्कृत प्रतियों की सूचियों के पांच भाग और छः भाग राजस्थानी ग्रंथों की सूची के प्रकाशित हो चुके हैं । यहाँ हिन्दी ग्रंथों की सूची भी छपी हुई वर्षों से प्रेस में पड़ी है पर
खेद है वह अभी तक प्रकाशित न हो पाई। उदयपुर के सरस्वती भंडार का सूची पत्र छप ही चुका है और अलवर के संग्रह की विवरणात्मक सूची बहुत वर्षों पूर्व प्रकाशित हुई थी। अन्य किसी राजकीय संग्रहालय के हस्तलिखित ग्रन्थों की सूचि प्रकाशित हुई जानने में नहीं आई राजकीय संग्रहालयों में से जयपुर-पोथी खाना तो अपने विशाल संग्रहालय के कारण विख्यात है ही पर अभी तक उसकी सूची छपने की तो बात दूर, अभी उसको बन भी नहीं पाई । हिन्दी के हस्तलिखित प्रतियों की दृष्टि से यह संग्रहालय बहुत ही मूल्यवान होना चाहिए । इस दृष्टि से दूसरा महत्वपूर्ण संग्रह कांकरोली के विद्याविभाग का है। उसकी सूची तो बन गई है पर अभी तक प्रकाशित नहीं हुई।
श्वेताम्बर जैन भंडारों की संख्या राजस्थान में सबसे अधिक हैं पर सूची केवल जैसलमेर के भंडार को ही प्रकाशित हुई थी। मुनि पुन्य विजयजी ने वहाँ के भंडार को अब बहुन ही सुव्यवस्थित करके नया विवरणात्मक सूची पत्र तैयार किया है जो शीघ्र ही प्रकाशित होगा। इसके अतिरिक्त ऑमियां के जैन ग्रंथालय के हस्तलिखित प्रथों की एक लघु सूची बहुत वर्षों पूर्व छपी थी अन्य किसी भी राजस्थानी श्वेताम्बर भंडार की सूची प्रकाशित हुई जानने में नही आई । राजस्थान के जैन-ज्ञान-भण्डारों की नामावली में मरू भारतो वर्ष १ , अंक १ में प्रकाशित कर ही चुका हूँ।
राजस्थान में संत संप्रदाय के अनेकों मठ व गुरुद्वारे आदि हैं उनमें सांप्रदायिक साहित्य की ही अधिकता है । राजस्थान के संतों ने हिन्दी की बहुत बड़ी सेवा की है अतः इन संग्रहालयों के हस्तलिम्वित प्रतियों की शोध भी हमें बहुत नवीन जानकारी देगी। अभी तक केवल दादू-विद्यालय के कुछ हस्तलिखित प्रतियों की सूची संतवाणी पत्र के दो अंकों में निकली थी। इसके अतिरिक्त अन्य किसी संघ संग्रहालय की सूची प्रकाश में नहीं आई।