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________________ - टिप्पणियाँ - ६-तंडुल कुसुमवलिविकार [अनेक रंगों के चावलों वगैरहसे तरह तरहके साथिए इत्यादि बनाना] ७-पुष्पास्तरण [इसे पुष्पशयन २०. शयनविधि भी कहते हैं] ८-दशन वसनांगराग (दाँत, | ३१. तरुणी प्रतिकर्म (2) कपड़े और शरीर रँगना] | १६. विलेपन २०. वनविधि ६-मणिभूमि कम सोने-बैठने ' के लिए मणि वगैरहसे जमीन बाँधना] १०-शयन रचन २०. शयन विधि ११-उदकवाद्य जलतरंग] ६. वादित्र १२-उदकाघात [पानीकी पिच कारियोंसे खेलना] • १३-चित्रयोग [जादू-टोना] .१४.माल्यग्रथन [मालाएँ पूँथना) • १५-शेखरका पीड योजन[फूलों, ३०. आभरण विधि द्वाराशेखरक मापीड़ यानी सरके गहने गूंथना] १६-नेपथ्यप्रयोग १८. वनविधि १७ -कर्णपत्रभंग [दाँत,शंखादि| ३०. पाभरण विधि ___ के कानोंके जेवर बनाना]] १८-धयुक्ति २६. चूर्णयुक्ति १६-भूपएयोजन | ३०. आभरण विधि
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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