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________________ सागरचंद्रका वृत्तांत - लक्ष्मी देखी इससे आपका पुत्र पुरुषों में उत्तम, और तीनलोककी साम्राज्य-लक्ष्मीका पति होगा। आपने पुष्पमाला देखी इससे आपका पुत्र पुण्यदर्शनवाला होगा और सारी दुनिया उसकी आज्ञा मालाकी तरह धारण करेगी ( आज्ञा मानेगी)। हे जगन्माता! आपने सपने में चंद्रमा देखा इससे आपका पुत्र मनोहर और आँखोंको आनंद देनेवाला होगा। सूर्य देखा इससे आपका पुत्र मोहरूपी अंधकारका नाश करके दुनियामें प्रकाश करनेवाला होगा। और महाध्वज देखा उससे आपका आत्मज (पुत्र) आपके वंशमें बड़ी प्रतिष्टावाला (इज्जतदार) और धर्मध्वज होगा। हे देवी! आपने सपने में पूर्णकुंभ देखा इससे आपका सूनु (पुत्र) सभी अतिशयोंका पूर्णपात्र होगा अर्थात् सभी अतिशयोंवाला होगा । हे स्वामिनी ! आपने पद्मसरोवर देखा इससे आपका आत्मज (पुत्र) संसाररूपी कांतार (जंगल) में पड़े हुए मनुष्योंका (पापरूपी) ताप मिटाएगा। आपने समुद्र देखा इससे आपका तनय.(पुत्र) अधृष्य (अजेय)होते हुए भी उसके पास लोग जाएँ ऐसा वह होगा। हे देवी! आपने सपने में संसारमें अद्भुत ऐसा. विमान देखा इससे आपके सुत (पुत्र) की वैमानिक देव भी सेवा करेंगे । आपने चमकती हुई कांतिवाला रत्नपुंज देखा इससे आपका आत्मज सर्वगुणरूपी रत्नोंकी खानके समान होगा, और अपने जाज्वल्यमान (दहकती हुई) अग्नि देखी इससे आपका पुत्र दूसरे तेजस्वियोंके तेजको दूर करनेवाला होगा। हे स्वामिनी ! आपने चौदह सपने देखे हैं वे यह सूचित करते हैं कि आपका पुत्र चौदह राजलोकका स्वामी होगा।" (२३४-२४८)
SR No.010778
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGodiji Jain Temple Mumbai
Publication Year
Total Pages865
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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