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________________ आगम के अनमोल रत्न ___ वसुदेव ने मधुर स्वर में कहा--"प्रिये.? तुम्हारा यह स्वप्न अत्यन्त शुभ है। इस स्वप्न से तुम्हें पुत्रलाभ राज्यलाभ भऔर अर्थलाभ होगा । स्वप्न का फल सुनकर रानी राजा के वचनों का स्वागत करती हुई वापिस अपने शयन कक्ष में लौट आई। योग्य समय पर महारानी ने सुन्दर दर्शनाय और कान्त पुत्र को जन्म दिया। उसके शरीर के अवयव गजताल से भी कोमल थे। इस'लिए उसका नाम गजसुकुमाल रखा गया । कलाचार्य के पास रहकर गजसुकुमाल ने अपनी तीव्र प्रतिभा से समस्त कलाएँ और विद्याएँ सीख ली। उसने युवावस्था में प्रवेश किया । ___ द्वारिका नगरी में सोमिल नाम का ब्राह्मण रहता था वह धन धान्य से समृद्ध था और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्व वेदों का सांगोपाल ज्ञाता था। उसकी पत्नी का नाम सोमश्री था । सोमिल ब्राह्मण की एक रूपवती कन्या थी जिसका नाम सोमा था। वह एक दिन अपनी दासियों एवं बाल सहेलियों के साथ राजमार्ग पर कन्दुक (गेंद) खेल रही थी। उस समय भगवान नेमिनाथ द्वारिका के सहस्राम्र उद्यान में पधारे थे । नगरी की विशाल जनता भगवान की वाणी का लाभ लेने सहसाम्र उद्यान में पहुँच गई । कृष्ण वासुदेव ने भी जब भगवान के आगमन का समाचार सुना तो वे भी अपने लघु भ्राता गजसुकुमाल के साथ गंध हस्तीपर आरूढ होकर भगवान के दर्शन के लिये चल पड़े । मार्ग पर कन्दुक क्रीड़ा में लीन सोमा पर कृष्ण की दृष्टि पड़ी। सोमा के रूप लावण्य और उभरते हुए यौवन को देखकर वे मुग्ध हो गये। उन्होंने सोमा के साथ गजसुकुमाल का विवाह करने का निश्चय किया । तत्काल अपने सेवकों को बुलाकर यह आज्ञा दी "जाओ ! सोमिल ब्राह्मग की इस कन्या को याचना करो। यह सोमा राजबुमार गजसुकुमाल की भार्या होगी। इसे अन्तःपुर में पहुँचा दो।" इस आज्ञा
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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