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________________ भागम के अनमोल रत्न ३८७ नन्द साम्राज्य का वैभव अन्तिम कोटि पर था। इसकी विपुल समृद्धि अन्य राज्यों के लिए ईर्षा का विषय थी। कल्पक वश में उत्पन्न गौतम गोत्रीय ब्राह्मण शकडाल इसी नन्द साम्राज्य का महामंत्री था। यह चतुर, मेघावो और सुदक्ष राजनीतिज्ञ था । जबतक रहा नन्द साम्राज्य की विजय पताका काशी, कौशल, अवंती, वत्स, अंग और लिच्छवीगण आदि राज्यों तथा सुदूर एवं सुदीर्घ भूमण्डलपर फहराती रही। इसकी पत्नी का नाम लांछनदेवी था । इसके दो पुत्र और सात पुत्रियों थी। बड़े पुत्र का नाम स्थूलिभद्र था । इनका जन्म वीर संवत् ११६ में हुआ था । ये बड़े बुद्धिमान थे। इन्होंने अल्पकाल में भन्नशस्त्रों को चलाने में निपुणता प्राप्त करली थी। ये नृत्य, नाट्य काव्य और साहित्य के विद्वान बन गये थे। इन्हे महामन्त्री शकडाल ने विशिष्ट कला और चातुर्य प्राप्त करने के लिए पाटलीपुत्र की सुप्रसिद्ध गणिका कोशा के घर मेजा था। ये कोशा के रूप यौवन में अनुरक्त हो गये और वहीं रहने लगे । शकडाल के द्वितीयपुत्र श्रीयक नन्दराजा के अंगरक्षक के पद पर नियुक्त थे । ये राजा के अत्यन्त विश्वासपात्र थे । महामन्त्री शकडाल की यक्षणी, यक्षदत्ता, भूतिनी, भूतदत्ता, सेना, रेणा और वेणा ये सात पुत्रियाँ अत्यन्त मेधावी थीं। इनकी स्मरण शक्ति अपूर्व थी। इनमें से पहली लड़की किसी बात को एकबार सुनकर याद कर लेती थी और दूसरी लड़की को दो बार सुनने से, तीसरी को तीनबार सुनने से चौथी को चार बार सुनने से, पांचवी को पांच वार सुनने से, छठी को छ. बार सुनने से, और सातवीं को सात वार सुनने से, सब कुछ याद हो जाता था। पाटलीपुत्र में वररुचि नामक एक ब्राह्मण रहता था जो प्रतिदिन आठ सौ नये-नये लोकों से नन्दराजा की स्तुति करता था । वररुचि के श्लोकों से प्रसन्न होकर राजा शकडाल मन्त्री की ओर देखता परन्तु वह उदासीनता दिखाता अतएव वररुचि राजदान से वंचित रहता था।
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
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