SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 371
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वासुदेव और बलदेव ३३७ - एक बार अपराजिता रानी ने रात्रि के पिछले भाग में बलदेव के जन्म को सूचित करने वाले हाथी, सिंह, चन्द्र और सूर्य इन चार महास्वप्नों को देखा । उस समय कोई महर्द्धिक देव ब्रह्म देवलोक से चवकर अपराजिता के उदर में आया । महारानी गर्भवती हुई। गर्भकाल के पूर्ण होने पर श्वेत कमल जैसे सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। बालक का नाम 'पद्म' रखा और लोगों में वे राम के नाम से प्रसिद्ध उसके बाद रानी सुमित्रा ने रात्रि में सात महास्वप्न देख कर एक पराक्रमी पुत्र को जन्म दिया और बालक का नाम 'नारायण' रखा किन्तु वे लोगों में लक्ष्मण नाम से प्रख्यात हुए । महारानी कैकयी ने भरत नाम के पुत्र को एवं सुप्रभा ने शत्रुन्न नाम के पुत्र को जन्म दिया । चारों बालक अपनी वीरता के कारण प्रतिदिन प्रसिद्धि पाने लगे। महाराज दशरथ अपने पुत्रों और रानियों के साथ पुनः अयोध्या लौट आये और वहीं राज्य करने लगे। उस समय मिथिला नगरी में हरिवंशी राजा वासुकी का पुत्र राजा 'जनक' राज्य करता था। वह महाराज दशरथ का अनन्य मित्र था। उसका दूसरा नाम विदेह था। उसकी रानी का नाम विदेहा था। एक समय रानी गर्भवती हुई । समय पूरा होने पर रानी की कुक्षि से एक युगल उत्पन्न हुआ। उसमें एक पुत्र और एक पुत्री थी। राजा को सन्तान होने से सारे नगर में भानन्द छा गया। इसी समय सौधर्म देवलोक का पिंगलदेव अवधिज्ञान से अपना पूर्व भव देख रहा था। रानी विदेहा की कुक्षि से उत्पन्न होने वाले युगल सन्तान में से पुत्र रूप में उत्पन्न होनेवाले जीव के साथ उसे अपने पूर्वभव के वैर का स्मरण हो आया। अपने वैर का बदला लेने २२
SR No.010773
Book TitleAgam ke Anmol Ratna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherLakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages805
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy