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________________ ( २१ ) जिसमें कि वहुमूल्य प्रतिमाएं थीं । परन्तु इस समय उस मन्दिरके केवल कुछ चिन्हमात्र ही दिखलाई देते हैं । वम्बई में जो श्रीरत्नकीर्ति नामके भट्टारक रहते हैं और अपनेको मलखेड़की गद्दी स्वामी बतलाते हैं, कहते हैं कि किलेके एक मन्दिरके मोंहिरेमें जो कि एक उपाध्यायके अधिकारमें है, हीरा पन्ना माणिक आदि नानारत्नोंकी अंगुष्ट प्रमाण ५१ प्रतिमाएं हैं और प्रयत्न करनेसे लोगोंको उनके दर्शन भी मिलते हैं । वे यह भी कहते हैं कि; किला पहले जैनियोंके अधिकारमें था, परन्तु अब निकल गया है । गांवमें इस समय केवल एक ही जैनमन्दिर है, शेष जैनमन्दिर विकृत होकर शिवमन्दिरोंके रूपमें दिखलाई देते हैं । यद्यपि उनके भीतर जिनेन्द्रदेव के स्थान में शिवजी विराजमान हैं, परन्तु ऐसे अनेक चिन्ह अव भी शेष हैं, जिनसे मालूम हो जाता है कि, पहले ये जैनमन्दिर थे । मलखेड़में मूलसंघी भट्टारकोंकी एक गद्दी है । परन्तु इन समय दूसरी गद्दियोंके समान उसकी भी बहुत ही शोचनीय स्थिति है । भट्टारक कौन हैं, कैसे हैं और वहांका अद्वितीय ग्रन्थभंडार कहां है, इसका कुछ पता नहीं है । इस गद्दीको पहले निजाम सरकारकी ओरसे पांच ग्राम माफीमें लगे हुए थे, परन्तु अब वे जब्त कर लिये गये हैं । पहले दक्षिणमें यह गद्दी सबसे मुख्य समझी जाती थी, सेतवाल, लाड, पंचम कासार, कंबोज आदि सारी जैन जातियां " मठाधिपति भट्टारकको नियमित भेट दिया करती थीं, परन्तु पीछे जब यहांकी शाखाएँ लातूर और कारंजामें स्थापित हुई, शात्रसे
SR No.010770
Book TitleVidwat Ratnamala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Mitra Karyalay
Publication Year1912
Total Pages189
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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