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________________ **21 आचारदशा अन्तिम सकल श्रुतज्ञानी स्थविर-भद्रवाहु-प्रणीत दशाभूतस्कन्ध सूत्र प्रथम असमाधिस्थान दशा हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है -उन निर्वाण प्राप्त भगवान महावीर ने ऐसा कहा है आचारदशाओं के दस अध्ययन कहे हैं। जैसे १ वीस असमाधि स्थान । २ इक्कीस शवल दोष । ३ तेतीस आशातनाएं । ४ आठ प्रकार की गणितंपदाएं । ५ दस प्रकार के वित्तसमाधिस्थान | ६ ग्यारह प्रकार की उपासक प्रतिमाएं । ७ वारह प्रकार की भिक्षु प्रतिमाएं । ८ पर्युपणा कल्प ६ तीस प्रकार के मोहनीय स्थान | १० आयति (निदान) स्थान | सूत्र २ छेदसुत्ताणि तत्य इमा पढमा असमाहिट्ठाणा दसा इह खलु येर्रोह भंगवंतेहि वीसं असमाहि-द्वाणा पण्णत्ता । इनमें यह प्रथम लसमाधिस्थान दशा है । इस आर्हत प्रवचन में निश्चय से स्थविर भगवन्तों ने वीस असमाधिस्थान कहे हैं । सत्र ३ प्र० कयरे खलु ते येर्रोह भगवंतह बीसं असमाहि-द्वाणा पण्णत्ता ? उ० इमे खलु ते येर्रोह भगवंतेहि वीतं असमाहि-द्वाणा पण्णत्ता, तं जहा १ दवदवचारी यावि भवइ । २ अप्पमज्जियचारी यावि भवइ ।
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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