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________________ आयारदसा १५७ सूत्र १७ तए णं से सेणियराया चेल्लणादेवीए सद्धि धम्मियं जाणपवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता सकोरंट-मल्ल-दामेणं छत्तेणं घरिज्जमाणेणं, उववाइगमेणं णेयव्वं, जाव-पज्जुवासइ । एवं चेल्लणादेवी जाव–महत्तरग-परिस्खिता, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छ। उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वदति-नमंसति, सेणियं रायं पुरओ काउं ठितिया चेव जाव-पज्जुवासति ।। उस समय श्रेणिक राजा चेलणा देवी के साथ श्रेष्ठ धार्मिक रथ में बैठा । छत्र पर कोरंट पुष्पों की माला धारण किये हुए (आगे का वर्णन औपपातिक सूत्र के अनुसार जानना चाहिए) यावत्...पर्युपासना करने लगी। इस प्रकार चेलणा देवी...यावत्...दास-दासियों के वृन्द से घिरी हुई जहां श्रमण भगवान महावीर थे वहां आई। उसने श्रमण भगवान महावीर को वंदना नमस्कार किया और श्रेणिक राजा को आगे करके (अर्थात श्रेणिक राजा के पीछे) स्थित हुई ।...यावत्...पर्युपासना करने लगी। सूत्र १८ तए णं समणे भगवं महावीरे सेणियस्स रणो भंभसारस्स, चेल्लणादेवीए, तीसे महइ-महालयाए परिसाए, ___ इसि-परिसाए, जइ-परिसाए, मुणि-परिसाए, मणुस्स-परिसाए, देव-परिसाए, अणेग-सयाए जाव-धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया। सेणियराया पडिगो। उस समय श्रमण भगवान महावीर ने ऋषि, यति, मुनि, मनुष्य और देवों की महापरिषद में श्रेणिक राजा भंभसार एवं चेलणा देवी को...यावत्... धर्म कहा । परिपद गई और राजा श्रोणिक भी गया। सूत्र १९ तत्येगइयाणं निग्गंयाणं निग्गंथीणं य सेणियं रायं चेल्लणं च देवि पासित्ता णं इमे एयारूवे अज्झथिए जाव-संकप्पे समुप्पज्जित्था
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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