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________________ - ~ ~ आयारदसा १ .... ___ वासावासं पज्जोसवियस्स छमियस्सर भिक्खुस्स कप्पंति तओ. पाणगाई पडिगाहित्तए, तं जहा १ तिलोदगं वा, २ तुसोदगं वा, ३ जेवोग काब/AM वर्षावास रहे हुए षष्ठ भक्त करने वाले भिक्षु को तीन प्रकार के पानक लेने कल्पते हैं, यथा १ तिलोदक, २ तुषोदक और ३ यवोदक । सूत्र ३२ ____ वासावासं पज्जोसवियस्स अट्ठमभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तं जहा आयामे वा, १ सोवीरे वा, ३ सुद्धवियडे वा ।८/३२॥ वावास रहे हुए अण्टम भक्त करने वाले भिक्षु को तीन प्रकार के पानक लेने कल्पते हैं, यथा १ आयाम, २ सौवीर और ३ शुद्ध विकट जल । सूत्र ३३ वासावासं पज्जोसवियस्स विगिट्ठभत्तियस्स भिक्खुस्स कम्पइ "एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए। से 5 वि य णं असित्थे, नो वि य णं ससित्थे 1८/३३॥ वर्षावास रहे हुए विकृष्ट भोजी भिक्षु को एकमात्र उष्ण-विकट जल ग्रहण करना कल्पता है । वह भी असिक्थ (अन्न कण-रहित), ससिक्थ (अन्न कणसहित) नहीं। Het.ru सूत्र ३४ ___ वासावासं पज्जोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्सभिक्खुस्स- -फ़प्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए। सेऽवि य णं असित्थे, नो चेव णं ससिन्य सेऽवि य णं परिपूए, नो चेव णं अपरिपएं। सेवि य णं परिमिए, नो चेव णं अपरिमिए ।........ सेऽवि य गं बहुसंपन्ने, नो चेव णं अबहुसपन्ने ।८/३१ -
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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