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________________ १०० छेदसुत्ताणि विशेषार्थ-आचारांग सूत्र में २१ प्रकार के पानकों का उल्लेख है यथा१ उत्स्वेदिम-गीले आटे से लिप्त पात्र (वर्तन) का धोवन । २ संस्वेदिम =उवाले हुए पत्र-शाक का जल । ३ तन्दुलोदक-चावलों का धोवन । ४ तिलोदक =तिलों का धोवन । ५ तुषोदक =भूसी का घोवन । ६ यवोदक =जौ का धोवन । ७ आयाम =अवश्रावण-उवाले हुए चावलों का पानी" मांड आदि । ८ सौवीर कांजी का जल । ६ आचाम्लोदक खट्टे पदार्थो का धोवन । १० कपित्थोदक=केंथ या कविठ का घोवन । ११ वीजपूरोदक विजोरे का रस । १२ द्राक्षोदक=दाखों या अंगूरों का रस या धोवन । १३ दाडिमोदक=अनार का रस । १४ खजूरोदक=खजूर या खारकों का उवाला हुआ पानी। १५ नालिकेरोदक =नारियल का पानी। १६ कषायोदक=हरड़, बहेड़ा आदि का धोवन । १७ आमलोदक-इमली का पानी। १८ चिणोदक-चनों का धोवन । १६ बदिरोदक=बेरों के चूर्ण का धोवन । २० अम्बाड़ोदक-आंवलों का पानी । २१ शुद्ध विकट जल-उष्ण जल। इनमें से अथवा अन्य अचित्त एपणीय जलों में से जहां जो सुलभ हो वही पानक नित्य-भोजी भिक्षु ग्रहण कर सकता है। सूत्र ३० वासावासं पज्जोसवियस्स-चउत्थभत्तियस्स भिक्षुस्स कप्पति तो पाणगाई पडिगाहित्तए, तंजहा १ ओसेइम, २ संसेइम, ३ चाउलोदगं 1८/३०॥ वर्षावास रहे हुए चतुर्थ भक्त करने वाले भिक्षु को तीन प्रकार के पानक लेने कल्पते है यथा : १ उत्स्वेदिम, २ संस्वेदिम, ३ और चावलों का धोवन ।
SR No.010768
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1977
Total Pages203
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_dashashrutaskandh
File Size6 MB
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