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________________ १४७ मजदूरी और प्रेम ] पुराने जमाने की कविता की पुनरावृत्ति मात्र है। इस नकल में असल की पवित्रता और कुँवारेपन का अभाव है । अब तो एक नये प्रकार का कलाकौशल-पूर्ण संगीत साहित्य-संसार में प्रचलित होने वाला है । यदि वह न प्रचलित हुश्रा तो मशोनों के पहियों के नीचे दबकर हमें मरा समझिए । यह - • नया साहित्य मजदूरों के हृदय से निकलेगा। उन मजदूरों के कण्ठ से नई - . __ कविता निकलेगी जो अपने जीवन में आनन्द के साथ खेत की मेड़ों का, कपड़े के तागों का, जूते के टाँको का, लकड़ी की रगों का, पत्थर की नसों का भेदभाव दूर करेंगे । हाथ मे कुल्हाड़ी, सिर पर टोकरी, नगे सिर और नंगे पांव, धूल से लिपटे और कीचड़ से रंगे हुए ये बेजवान कवि जव जङ्गल में, लकड़ी काटेंगे तब लकड़ी काटने का शब्द इनके असभ्य स्वरों से मिश्रित होकर वायुयान पर चढ दशों दिशाओं में ऐसा अद्भुत गान करेगा कि भविष्यत् के कलावतों के लिए वही ध्रुपद और मलार का काम देगा। .. चरखा कातने वाली स्त्रियों के गीत ससारे के सभी देशों के कौमी गीत होंगे। मजदूरों की मजदूरी ही यथार्थ पूजा होगी। कल रूपी धर्म की तभी वृद्धि होगी। तभी नये कवि पैदा होंगे; तभी नये श्रौलियों का उद्भव होगा। परन्तु ये सब के सब मजदूरी के दूध से पलेंगे। धर्म, योग, शुद्धाचरण, सभ्यता और कविता आदि के फूल इन्हीं मजदूर ऋषियों के उद्यान में प्रफुल्लित होंगे। . मजदूरी और फकीरी मजदूरी और फकीरी का महत्व थोड़ा नहीं है । मजदूरो और फकीरी मनुष्य के विकास के लिए परमावश्यक हैं । विना मजदूरी किये फकीरी का उच्च भाव शिथिल हो जाता है; फकीरी भी अपने प्रासन से गिर जाती है। बुद्धि बासी पड़ जाती है। वासी चीजें अच्छी नहीं होती। कितने ही, उम्र भर, वासी बुद्धि और वासी फकीरी में मम रहते हैं, परन्तु इस तरह मग्न होना किस काम का १ हवा चल रही है। जल बह रहा है, वादल बरस रहा है; पक्षी नहा रहे हैं; फूल खिल रहा है। पास नई, पेड़ नए, पत्ते नए'मनुष्य की बुद्धि और फकीरी ही बासी ! ऐसा हश्य तभी तक रहता है जब
SR No.010761
Book TitleHindi Gadya Nirman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshmidhar Vajpai
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year2000
Total Pages237
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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