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________________ प्रायश्चित-समुच्चय । भावार्थ-रसरहित. आहारको निर्विकृति कहते हैं और कांजिक-सोवोरसे रहित भोजनको आचाम्ल कहते हैं। पांच प्राचाम्ल, पांच निर्विकृति, पांच गुरुमंडल, पांच एकस्थान और पांच उपवास इनमें से पांच निर्विकृति अथवा पांच आचाम्ल या. पांच उपवास कम कर देना अर्थात इन तीनमेंसे किसी एक कर रहित अवशिष्ट धारकी लघुमास संज्ञा है। तदुक्तंउबवासपंचए वा आयंविलपंचए व गुरुमासादो। निवियडिपंचए वा अवणीदे होदि लहुमांसं ।। ___ अर्थात-गुरुमास अर्थात् पंचकल्याणमसे पांच उपवासा अथवा पांच प्राचाम्ल अथवा पांच निर्विकृति कम कर देने पर लघुमास होता है। छेदशास्त्रकी अपेक्षा आचाम्ल, निर्विकृति, गुरुमंडल और एकस्थान इनमेंसे किसी एकको कम कर देने पर लधुमासः होता है । यथाआदीदो चउमझे एकदरवणियम्मि लहमासं। अर्थात्-छेद शास्त्रके पाठानुसार क्षमण-उपवासका पाठ सबके अन्तमें है उनमें से उपवासको छोड़कर अवशिष्ट चारमेंसे किसो एकको घटा देना लधुमास है। सबका सारांश, यह निकला कि इन पांचोंमेंसे किसी एक कर रहित अवशिष्टं चारकी लघुमास संज्ञा है। अथवा पंचकल्याणकको व्यवधानसहित 'रना भी लघुमास है॥६॥.
SR No.010760
Book TitlePrayaschitta Samucchaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Soni
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages219
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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