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________________ [ ६० ] रासि जसहि रहिचीया पलंव वुसट सापडियो | मधुवन मा माहवा, लाख देता सू लड़ियौ । वोम सखचूड सरीखा वहे, घेनक सरिखा दाहिया । निसचरा घरणां मोहिए नरद गोकल बैठे गाहिया ॥ ११० ॥ गोकल मे गोविंदी कंस मथुरा मा कोपै । महा देत मन मोट अधिक बळ ग्रहिया श्रोपै । कंस ने नारद कहे दळे कान्हड देता ना । उरा तेड थीय, मारि वळिभद्र माहव ना । उपनंद नद कान्हड कुंवर सहि दास ग्रहीरिया । कंसासुर कोप करि नै कहे, किसनल्याव कुरिया ॥ १११ ॥ कहे प्रेम अक्रूर, मरण माणो श्री देता री अत, सभा देसै घर माँही । सिगळा ही । - किस जवाने करें प्रघट दाखियो पहिलो । . " देत भरणे अकरूर विसन ना ल्याव वहिली । ऊपरा अक्रूर चढे रथ ऊपरा, खडि ग्रायो गोकुळ खरी । पेखियो गाय दुहती प्रभु, ग्रई भाग करूर री ॥ ११२ ॥ अई भाग करूर, किसन मिळियो स्रव कारण । वहनामी वोलियो, मदन - मोहरण कस ऊग्रसेन री आरण, वसह मात पिता ही मिळा चर्वे चत्रभुज नद साथै चढे, चढै ग्वाल दीनदयाळ मथुरा दिसो, खेध धरणे रथह खडे ॥११३॥ रथ ठाभो रहमाण, मुरणे अकरूर मुरारी । करो सिनान किसन, भली ऊजळ जळभारी । जमरणा मा जगदीस, सेस हि ऊपरि सूता । इमि दीठा प्रकरूरि किसन श्रादेस करता । अठयासी सहस रिपि ओळगे सरब कोडि तेत्रीस सुर । सलामा करे ब्रह्मा सिभू, मिनिख देव श्रहि लोक मुर ॥११४॥ । मारण ॥ वरते । वैरण चडते । वळभद चढे ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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