SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ २८ ] चरण तूझ चाहा निमो चत्रवाहं, अइयो ताहरा पाव उत्तिम अलाहं । भजे ताहरा नाम से साध भला, अइयो जमराजम निरदोप अला । हुो हस रौ रूप श्री राम हु, वडो कछ अवतार दरिया विलो। दिवे दांन रतनां तणो सरिसि देवा, जरू दुख दै दागवा राह जेवा । महिरिवारण तू मछ माधव मुकंदु, निमो वाहरू वेद प्रिथमादि विदु । अनंत राम हैग्रीव अवतार अंसा, जिकै मारिया देत मध कोट जैसा। कपिल देव करतार रिखव कहीजे, भली भांति सा सामि मन मा भजीजै । देवां ऊपरा देव तू दत्त देवा, सही साध करिसै कोकि तूझ श्रवा। प्रभु पिथि अवतार अपार पारू, जख किंदरे जास राखं जुहारं । परै उखिणे खिणे हरिणाख पाढा, दईव वाह हो वाह वाराह दाढां। दाखां तुझ नां निमो नरसिंघ देह, निमो ताहरौ कोप लिखमी सिनेहं ।। किसन तूझना साद पहिलाद कीधौ, - दीनानाथ ते सांमही साद दीधी। घणी ग्राहनां मारिवा भलौ धायौ, हरी तूझ अवतार वेदै हुलायो। निमो वांमरणा राम वैराट ब्रह्म, अधिक रीजियो इदि ऊपरि अग्रंमु।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy