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________________ [ २६.] निमो पगा 'नमो अलख आणी न जाणे । निमो पगां रौ ध्यान राखे पवनु, नमो अलख रौ करै आराध अनु। निमी अलख रौ जिको आराध आरण, निमो नारगी तणे. कुडे न जाण। निमी कटक पतिसाह पतिसाह काचौ, निमो अलख जाण- जिको रांक पाछौ । निमो अलख री अलख सोभा उचार,. निमो आप हीज अलख आपरिण उधार । निमो अलख री- करै समरण अनेक, नमी अलख औ जीव मिळ हुदै.एक । हुकम निमो बाप थारी हुलाहौ, आराधै तिनां एक जघा अलाहौ। वडा देव नरसिंघ तौवह विसन, कहै सुपकना किसनं किसनं । सपत दीप रिख सात सातइ समंदु, नवइ नीय ही हाथ जोडै नरिंदुः।, गणे तारहा नाम सुर कोड़ि गने, अला माहरी एक पाराध मंन । अट्यासी सहस रिखी तू नां पाराहै, धरणी ताहरौ नाम सह कोई ध्याये । धरणी थाहरै नाम नां जिके घाख, नरां ताहना झालि स्रगलोक नांखे । बडे धरणी रौ विमळ कोमळ वदनु, घिणी रो करै ध्यान तां दाख धर्नु । वडे, साधुने तूझ गायो वचने, अलाह माहरौ अक आराध मने। प्रभु तूझ प्रताप सकर पिछारण, जिकी ताहरौ सुख सुरजेठ जाण ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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