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________________ [ ६६ ] मुंहमद (१०१)-महम्मद | मुर-भुवरण (३५, १०२)-तीन लोक मुघौडी (६६)—मृता, मरी हुई। मुरलोक (६)-तीन लोक मुकद (७५, ७६, ८३, ६०)-मुकुंद, मुरह (६३)-तीन मुक्ति देने वाला, विष्णु। । मुरारि (६१)-मुर नामक दैत्य को मुकंदहु (५३)- मुक्ति देने वाला, ईश्वर मारने वाला, विष्णु, श्रीकृष्ण मुकुद (८२)-मुक्तदाता, विष्णु का मुरारी (६०)-श्रीकृष्ण, मुर नामक एक नाम। दैत्य का सहारक । मुकन (५८)—मुक्ति देने वाला, विष्णु मुरिखि (३६)-~मूर्ख, अज्ञ । मुखी (२१)-मुख्य मुरिडि (६६)-मरोड़कर मुगति (३५)-मुक्ति मुलाणा (१६, ३१)-मुल्ला मुगिति (७६)-मुक्ति, मोक्ष । मुल्लाणा (६५)-बहुत बड़ा विद्वान, मुजरो (२५) मुल्ला, शिक्षक । मुझ (३८)-मुझको मुसा (३१)मुझना (३६)-देखें, मुझ । मुसिला (११)—मुसलमान मुड़िस (६६)-मोडे जायेंगे । मुहमद (१०)-जिसकी अत्यधिक मु. (८७)-मुड़ गये प्रशसा या कीति हो, इस्लाम मुणे (६०) कहता है। धर्म के प्रवर्तक, अरब के एक मुथुर (८३)-मथुरा नगरी । प्रसिद्ध पैगम्वर । मुद (६३)-प्रसन्ने, हर्पित । मुहमदा (८५)-मुहम्मद मुदै (१५)-मुख्ये, प्रधान । मुहम्मद (६५)-इस्लाम धर्म के मुना (२४)-मुनियो प्रवर्तक अरव के प्रसिद्ध मुना (१००)-मुझको पैगम्बर। मुनाई (२०)-प्रसन्न की, मनाई। मंगळ (८९)-मुगल, मुसलमान । मुर (३६, ४८, ६०, ६१, १०२)- मू छिस (८५)-काटेंगे, मिटा देंगे, तीन नष्ट कर देंगे। मुरई (६६) मूना (१००)-मुझको मुरघर (१०३)- मारवाड मू मरणां (६१)मुर-भुयरणा (१६)-तीन लोक, त्रिभुवन मूस (८६)
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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