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________________ [ ६५ ] मादळा (६६, ८६)-वाद्य विशेष । माहेस (६७)-महेश, शिव । माधव (७)-लक्ष्मीपति, विष्णु। मिडिया (४३)-अकित माधा (४२, ६२)-माधव, श्रीकृष्ण । मिगिज (९०)--कहिए? मानियौ (१६)-माना, मान लिया । | मिणीजे (४५)-कहिये, कहा जाता माप नै (४६) मामी (१०१)-माता का भाई। मिनि (२०, २१)-मन मे, मानली? . माया (३७) लक्ष्मी, धन-दौलत, मिलक (३२) अविद्या, अज्ञान । । मिळरण (३२)-मिलना मारीछ (६)-मारीच, एक राक्षस का | मिळिया (३३)-मिलकर नाम जिसने सोने का मिळ्यिौ । १५ –मिला हरिण वनकर रामचद्र मिळिस (९)-मिलेगा को धोखा दिया था। मीठौ (९७)-मीठा, मवुर । मार (३०)-मार दिया। मीत (१०१)-मित्र माल्हिो (८)-मस्त चाल से चला | | मीर (८६, ६०) - धार्मिक प्राचार्य, माल्हिस (१२)-गर्वपूर्ण नद चाल मे सैयद जाति की उपाधि, चलेगा। प्रधान नेता। मावड (८३)-माताएं मीरां (२५)–भक्त मीराबाई । माव (५६)-समाते हैं। मीराह (१०)-मीर, प्रधान । माह (१०३) | मीरा (९०)-समर्थ, गक्तिगाली। माहरे (३१, ४३, ७३)-नेरे मीसण (१६) चारणो का एक गोत्र । माहरोइ (११)-मेरा ही मु ठहुँ (४८)-मूर्ख माहरी (११, २६, ७०, ७६)—मेरा | मुठा (७६) माहव (१, २ ४८, ६०, ७४)- | मुना (७४) - मुझ को । माधव, श्रीकृष्ण। मुसा (८५)-यहूदी लोगो के एक माहवा (११, ४८, ६०, ७८, ६६, . पैगम्बर जिनको जुदा का नूर ९७)-माघव, श्रीकृष्ण, विष्णु ।। दिखाई पड़ा था। माहवी (६२)-माधव, श्रीकृष्ण। मुसे (१७)माहि (३५, ८३)-मे | मुहडौ (५१, ८३)- मुख, मुह ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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