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________________ [ ४५ ] करी, /नम (१२) भ्रम (५, ७, १००, १०२)-धर्म | नग (४६) रत्न ध्रवसे (६५)-मारेंगे, महार करेंगे, | नदि (५०)-नदी पीटगे। न दै (१०२)-नहीं देता है। घ्र (४२)-तृत करता है। नभ (६६)-याकाश घवी (१०२)-१ संतुष्ट करो २. नम (२०) नमस्कार करते हैं । भगायो। | नमो (३४, ३५, ३६)-नमस्कार है। नास (८६)- द्राक्षा, दाख। नरदै (९८)-नरेन्द्र, राजा । घ्रापमै (८५)-तृप्त होंगे, पवारगे। नर (४१)-रत्न, मरिण। प्रिनि (४६)-१ धरणी २ वन्य । | नरकासुर (५, ६३, १००, १०१)नोख (४६)-१.द्रोह, २. प्रणाम । एक सुर का नाम । नरनाह (८२)नरनाय, राजा। नद (४, ५, ४७, ५८,५६, ६०, ५२, | नरमध (५३)-नृसिंहावतार । ६३, ८३)- गोकुल के गोपो मे | नरसिंघ (६, १८, ३६, ४०, ६४) नमिहावतार । मुखिया, यशोदा के पति नरसीव (२६)-नृसिंहावतार । का नाम, पुत्र, कृष्ण के नरहर (३८, ३३, ३६, ४३)-नरपिता बमुदेव के सखा। हरि, नृसिंहावतार, वारहठ नंदकुमार (१८)-श्रीकृष्ण नरहर दास, विष्णु । नदरो (८३)---नद का नरानाह (४६)-राजा, नरनाथ । नन (३६)-नही-नही। नरा (४०)--नर, मनुष्य । न (४४, ४५, ४६) नहीं नरिदि (७६) नरेंद्र राजा । नइणि (४१) नयन, नेत्र । नरिंदु (२६)- नरेंद्र, राजा। नइणे (१५) नयन, नेत्र । नरिदि (४०)-नरेद्र, ईश्वर । नई (४८)-नही नरेस (३६)---नरेश, राजा। न करण (४०)-नही करने वाला, नरेसर (३३)-नरेश्वर । नही करने योग्य । नव (६३)-नौ, नए। नखतंत (५)-नक्षत्रधारी, जिसका नवइ (२६)- नमस्कार करके भी अप्ठ नक्षत्र में जन्म हुआ करते हैं। हो, भाग्यशाली। | नव कुळी (४८)-नौ कुल-राजस्थान
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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