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________________ [ ४३ ] दुडिदै (६८)—सूर्य । | देवाधिदेव (३७)-महान देव, ईश्वर, दुडिदि (४६)सूर्य । विष्णु । दुतर (७५, ३८)-दुस्तर, कठिन। देवाली (७०) अभाव, कमी। दुमेल (५०, ६४, १०१)-शत्रुता, | देस (१०२)-देंगे। वैमनस्य । देह (३५)—शरोर। 'दुरजोव (६२)-दुर्योधन । दै (३८)-दो, प्रदान करो। ->दुरवळ (३४)-दुर्बल, अशक्त । दैत (२०, ३०, १००)-दैत्य, असुर । दुवारिका (६६)द्वारका। दैता (६)-दैत्यो। दुसटिया (३०)-दुष्टो। दोइ (३७)-दो। दुहते (५४)-दोहन करते समय, | दोख (६२)-दोष । दोहने पर। दोटि (८५)-वले की टक्कर ? दूना (८५)-दूहा कहना, दूना देना, दोटिया (६३)-मार डाले, जमीदोज प्रशसा करना। कर दिये। दूपण (५६)-एक दैत्य । दोटोह (१०)-टक्कर, आघात । दूपर (६)-रावण का भाई दूपण । दोरा (७५)-कष्ट मे । दूजा (२०)-दूसरो। दोरौ (१५, ७५)-कठिन, मुश्किल, दूज (२५)-दूसरो से । दुख मे, कष्ट मे। दे (३८)-प्रदान करो, दो। द्यौ (३५)-दीजिए? देखे (४४)--देखते हैं। द्रोण (६२)-द्रोणाचार्य । देजा (५५)-हिजो। घ देव (३६, ४५)-देवता। देवकी (५८)- मथुरा के महाराज | धकहा (६१)-अगाडी से । उग्रमेन के छोटे भाई वसुदेव घख-पख (२१)-गरुड । की स्त्री तथा कृष्ण की | | घख-पख-ध्वज (७८)-गरुडध्वज । माता। घडक्क (६६)-कंपायमान होते हैं । देवळे (७०)-देवालय, मदिर। | घडा (६६)-गरीरो। देवाइचि (१५)-एक भक्त स्त्री का परिणयांणी (१६)-स्वामी, मालिक । नाम। वणीयाणी (२२)-स्वामिनी ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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