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________________ [ ३६ ] तणो (१६, ४३, ८२, ८५, ८६)- तरिया (२, १६, १००)-मोक्ष प्राप्त का हुए, तैर गये, पार हो गये, तणां (२, १३, ६८)-का उद्धार पा गये। तणी (६६, ७२, ८४, ८५, ८६, ८३, | तरुणारि (८७)-तलवार ७४, ८७, १, ४, ६, १३, १४, तळातळ (६५)-सात अब लोको मे। १६, २३, २८, ३०, ३१, ३२, से एक अव लोक का नाम ३६, ३८, ३६, ४२, ४४, ६४, | तळिया ( )-भून डाले । ५२, ५८, ६२, ६३, ७८, ७६, | तवि (८, ४१)-कहकर ९७, १०१, १००, ६५)-का | तव (४४, ४६, ५३)-कहती है, तणौ (९१, ६४, ६६)-का स्तवन करती है, स्तवन करते हैं। तत (४३, ४५, २५)-- तत्व | | तसलीम (३४)-तस्लीम, प्रणाम । तना (२२, ३४, ३६, ३७, ६७, ६८, । तही (८४)-के लिए? ___६७, ६६) तुझको ता (६८)-उन तनाई (२६)-तुझको हो। ताती (१७)-तार वाद्य का, तार । तना (७६, ७८)-तुझको ताम (६६)-तव, उन । तनां (३६) तुझको तामस (४२)-तमो गुण । तवै (५२) ---कहते हैं, कहने लगे, | ताडका (५५)-यक्ष सुकेनु की कन्या स्तवन करने लगे। मतान्तर से सुंद नामक दैत्य तमारा (६१)-तुम्हारे की कन्या । तथा मारीच तमासा (88)-तमाशा सुवाहु की माता, एक प्रसिद्ध राक्षसी। तनाम (५६)-खेल, तमाशा । | ताडिका (८१) दैत्य मारीच और तमो (५८)-तीन गुणो मे से एक | सुवाहु की माता । तमोगुरग । तारिणया (८७)-खींचे। तरगस (१२)-तर्कश, तूणीर । ताम (८६)-तव। तरा (२२, ३८)-पार हो जायें। तारण-तरण (१७)-उद्धार करने तरिज (७५)- तैरा जा सके । वाला।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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