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________________ [ २७ ] घाते (२)-डालना, देना। चडिस (१८)-चढेंगे। घाती (१०२)-डालिए । चत्र (५०)-~चार। घिणेरी (१५)~अधिक । चत्रवाह (२८)-चतुर्भुन । घिरियो (८२)- चिरा, मुडा, भाग्योदय | चत्रभुज (३६)-चतुर्भुज, विष्णु का हुआ। एक नाम । घोसीयो (६२ - घसीटा। चत्रभुजन (४५/-चतुमुज, विष्णु। धुरै १६६)-बजते हैं। चरण (४३ -~-पाद, पाँव । घूमर (६२)-दल, समूह । चरणार विदै (८८)--चरणाविंद, कमल गोडी (११४-घोडा। स्वल्पी चरण। च चरिताळा (२६)-चरित्र करने वाला। चचळा (३१)-घोडो। चलण (५४;-चरण, कदम । चचळ (३३)--घोडे पर । चलरिण (५७)-चरण, पैर । चदमा (३१)-चन्द्रमा । चलणी (१०३)-चाल, चलने का । ढंग। चन्द्रमा (५)-~चन्द्र, चाँद । चलणं ११००)-पावो मे, पैदल ।। चकचूर (६)-वस, नाश । चवे (११, १३, ३२}--कहता है, 'चकचूरि (४६)-नाग, व्वस । कहते हैं। चकर ,५७, १७१-चक्र, विष्णु का " चापियो (५४,)-रखा, पैर रखा । एक अस्त्र । चाकर (३७)-सेवक, अनुचर । चक्रधर (४५)-चक्र को धारण करने चाट (५८)--चाटता है। वाला, विष्णु। चाड (९४)-पुकार। चक्र पाणी (८४-वह जिमके हाय | चागौराय (82 | चारणोराय (६१)-कस का एक मल्ल मे चक नामक शास्त्र हो, । जिसको श्री कृष्णने मारा था, विष्णु। चाण र । चक्र-सामि-४३)-विष्णु । चाप (६)-धनुष । चख (२४)-चक्षु, नेत्र। चारण (३६) एक देव जाति । चडसौ १६४)-~चढाई करोगे। चारिणि (२६)-चारण कुलोत्पन्न चडिया (८६)-- चढाई की, चढे । देवी। चडियो (३७, ८४)-चढा ।। | चालण (८२)--चलाने को ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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