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________________ [ २६ ] ग्या '४६)—गये। घण (११, ४५, ४६, ५०, ६६, ७५)ग्यानह (४४) ज्ञान । बहुत, अधिक। ग्रव (४५, ५०)-गर्व, गर्म । घणनामी (२४, ५१, ६८)-बहुत से ग्रभवाम (५०, ६६)-गर्भवास । ___ नामो वाला, ईश्वर । ग्वाल (३३)-गोपाल, रक्षक। | घणनाम (३६)- बहुत से नाम वाला। ग्रह (५७)-वे तारे जिनके उदय अस्त घणनामी (७५)-वह जिसके अनेक काल आदि के विषय मे प्राचीन नाम हो। ज्योतिपियो ने ज्ञान कर लिया | घणा (३२, ७५, ८३, ८४, ६१)था। इनकी सख्या फलित बहुत, अधिक । ज्योतिप मे नी मानी गई है। घणी (३९)-चातुर्य । ग्रहि (७२)-पकडकर । घरणू (७०)-अधिक। ग्रहियो (२६)-पकडा, धारण किया । घणेरी (४०)—वहुत । ग्रहिसी (६४)-पकडोगे । घणं (५४, ५६) अधिक, बहुत । ग्रांम (EE)-ग्राम। घणरिड (१०)-अधिकहठ, जिद्द । ग्रामी (१०१)-गामी, गमन करने | घणों (७०)-अधिक । बाला, चलने वाला। घणी (१, ४०, ७६, ५२, ४६, ५४, ग्रामहं (४१)--ग्राम । ६८, ७२, ७६, ८०, ८१, ८२, ग्राह ना (88)-प्राह को। ८७, ८८, ६७, ६३)-बहुत, ग्रिह (५८)-घर । अधिक, वना, अत्यन्त । ग्रेह (४८)-- गृह, घर। . घन (२०)-बहुत, अधिक । घमसाण (१२)-युद्ध । घडग (३५)- रचना। घाणी (३२)-कोल्हू । घडे (३४, ४२, ४३)--रचता है, घाउ (६६)-प्रहार । रचते हैं। घाट (8)-रचना। घट (२३)-गरीर, मन, हृदय । घाणी (२०)--ध्वंस करने वाली । घटियो (५२)-घट गया, कम हो घाणीया ( )-कोल्हू । गया। घात (२) अनिष्ट, दुर्दशा। पटै (४६)-कम, घटता है । | घाति (२२)--डालकर।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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