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________________ [ १६ ] किसन (१५)-चौहान वश की खीची । कीन्ही (३६)-की शाखा का राजपूत । कीयो (४५)-कीया किसिन (५५)-श्रीकृष्ण, राम। | कीर (३६, ५५, ८१, १०३)--शुक, किसिन दीपायण (७७)--कृष्ण पायन तोता, व्याध । किस (८०)—कौन से। कीरति (२१)—कीति किसी (११, ३२, ५०, ६६, ८४)- कीला (६२, ७६, ८३, ६१)- क्रीडा, कीन-सा, कसी। __ लीला। किहक (88)-कुछ तो। कुआरी (३२)-अविवाहिता, कुमाकिहडी (८, १९)-किस रिका। किहडो (४६) कैसा कुंडलपी (१६)-कु डलिनी किहिक (१०) कुछ कुण (९५)—कीन किहिकि (११)-कुछ कुत (६६)-भाला कीच (६५)-कीचड़ कु ता (३२)-पाण्डवो की माता, कीदर (१३)-किन्नर __ कुन्ती । कीच (६६, ८५)-पक, दलदल। कुम्भकरण (५७)-रावण का भाई, कीजै (३७, ३८)—करिए एक दैत्य । कीट (७९)-कैटक नामक असुर जो कुणवा (६०) कुटुम्ब कुण (४, ५, २६, ३७, ४१- ४६, ५६, कोकाको ६८, ६६, ७६, ७६, ८७, विप्णु ने मारा था। १०१)-कौन, किस, । कीटग (२१, ५२)-देखः कीटक । कुणे (४०, ४१)-किस किसने । कीव (४, ३०, ५३)किए, किया। विज्या (६१) स का एक अनुचरा कीधा (२, ३, ६, १६, ९४)-किए जिमकी पीठ कुवडी थी। कीधी (१०, ४८, ६२)-की कुमया (७०)-कमी, प्रभाव, कोप। कीयो (१३)-किया कुरखेत (५)-कुरुक्षेत्र। कीधी (४, १२, १३, २८, २९, ३२. कुराण (१८)-कुरान । ५०, ६६)—किया, कियो, कर कुरिदि (३०)- कगाली, निर्वगता। दिया । । कुसटामिरिण (४३)-कौस्तुभमणी ।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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