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________________ . वीरवाण देना । जब वह ग्रास भरे तब उससे पूछना कि हमने ऐसा शकुन देखा है उसका फल कहो। . वह विचार कर कह देगा । ये गोहिल के घर जाकर उतरे, उसने गोठ तैयार कराई, जीमने बैठे, पहला ग्रास कालू ने लिया तब अरडकमल कहने लगा-कालूजी हम सादूल भाटी पर चढ़े हैं, हमको ऐसा शकुन हुआ उसका फल कहो । कालू कुछ विचार कर बोला "तुम जिस काम को जाते हो वह सिद्ध होगा, तुम्हारी जय होगी और कल प्रभात को शत्र मारा जायेगा।" जीम चठकरः चढ़े, महाराज सांखल के बेटे अाल्लणसी को राव राणगदे ने मारा ... था इसलिए अपने बेटे का वैर लेने को ' महाराज आगे होकर राठोडों के कटक को सादल पर ले चला । सार्दूल भाटी त्याग बांट, ढोल बजवाकर अपनी ठकुराणी का रथ साथ ले ' रवाना हुआ था कि लायां के मगरे (पहाडी) के पास अंरडकमल ने उसे जा लिया और ललकार कर कहा-"बड़े सरदार जावे मतं । मैं बड़ी दूर से तेरे वास्ते आया हूं।" तब ढाढ़ी बाला-- "उडे मौर करे पलाई मोरे जाई पर सादो न जाई," । मोर (घोड़ा) उज्कर भाग जावे परन्तु सादा नहीं जावेगा । राजपूतों ने अपने अपने शस्त्र संभाले, युद्ध हुआ, कई आदमी मारे .. गये, अरडकमल ने घोड़े से उतर मोर पर एक हाथ ऐमा मारा कि उसके जारों पवि कंट गये और साथ ही सादूल का काम भी तमाम किया । उसके साथ राजपूत मर मिटे तब मोहिलाणी ने अपना एक हाथ काटकर सादूल के साथ जलाया और आप पूगल पहुची, सासू ससूर के पंग पकड़े और कहा "मैं आप ही - के दर्शन के लिए यहां आई थी, अब पति के साथ जाती हूं।' ऐसा कहकर वह सती हो गयी । अरडकमल ने भी नागौर कर · पिता के चरणों में सिर नवाया; राव चूण्डा हुआ और उसे पट्टे में दिया । (ऊपर कह आये हैं कि राव चूण्डा ने अपनी राणी मोहिल के कहने से अपने पुत्र रणमल को अपना उत्तराधिकारी न बनाकर उसे. निर्वासित किया और मोहिल के पुत्र कान्हा को मंडोवर का राज दिया था । ) जब रणमल विदा हुआ तो अच्छे अच्छे राजपत अर्थात् सिखरा उगमणोत, इंदा, ऊदा त्रिभुवन सिंहोत, राठोड़ काजोटिवाणो उसके साथ .. हो लिये । आगे जाकर एक रहट चलता देखा, वहां घोड़ों को पानी पिलाया । उनके मुह छांटे, हाथ मुह धोकर अमल पानी किया। वहीं सिखरे ने एक दोहा कहा-"कालो काले हिरण जिम, गयो टिवाणों कूद । आयो परवत. साधियों त्रिभुवन बालै ऊद ।' तब ऊदा और काला ने कहा कि हम सिखरा के साथ नहीं जायेंगे, यह निंदा करता है अतः पीछे लौट जायेंगे । इतने में दल्ला गोहिलोत का पुत्र पूना उठकर आया, जिसको सिखरे ने कहा कि पीछे फिरो । वह बोला "मैं नहीं लौटूंगा, ऐसा अवसर मुझे कत्र मिले ।" तब कला और ऊदा ने कहा कि हम पना के साथ पीछे जावेंगे । सिखरा ने कहा तुम जाओ, मैं नहीं. - आऊंगा । एक दोहा मुझे भी कहो घुमडलेह सिरावणी, कहियो उगह विहाण । . ऊगमणावत कूदियो,. बट वंगे केकाण ॥ .. ... फिर पना, राव (चूण्डा ) के पास चला गया । ५०० सवारों सहित नाडोल के गांव. धणले में आकर ठहराः । नाडोल में उस वक्त. सोनगिरे ( चहुवाण ) राज करते थे। .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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