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________________ वीरवारण E नीसाणी ५५ " " uru292f.orr rmy r" दूहा १३६ हम लोध निभाया पायर हिंदू गुण किया थोडा जग माही सत्र त्रैटां सीहांणमै सब लेवण सीहाण जोरू छोरू छोड़कर अंत वीरम आया लग से वचन निभाया मांगलियांणी मोट मन दलै अरु देपाल कू पालो रूष न काटबै थे सांतू भाया कथन दलाईता कया बाई समझायो बोहत मांगलियांणी सांपली क्य कांकल की हक राटोहड हल्लण वीरम चढिया वीरवर वीरम न्याव न हलवी अनिय स मुहाणा इम मुलावर बोलिया चढिया मत प्रांण है वे हिन्दू समझ मन फरहास पिराणां दरखत हग्यिल पीरदां नोइया देस विदेस मै पीर परचा इल प्रगट राम रहिम जु एक है वीर फरासा बढवा दबखाती ढोवै के मल्लां तागा करे बार कोसा वैदे यो दोल मुगणाया मो मुगिया नीहां मैं नीसाणी ५८ " , नीमाणी , " m. » - w .." . .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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