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________________ १४ वीरवारण वीरम पहरै कपड़े धोए सारक तांणी । राग रंगावलि अंग जिरह झमझपस प्रांणी ॥ वीरम चढीयां सब चढे सवें सलपाणी । माणिक हरीया दोलीया बड थट फरांणी ॥ पाऊं थहै लूझणा जसदी करवाणी । . वीरमनु केहा कहै कहै मांगलीयांणी ॥ जोतु वीरम सलपीयांण श्रागै लूणीयांणी । धीरे धीरे जोईयां आया सलपाणी ॥ . मदो आय विलंब सी वगजे ही पांणी । वार्ता वीरमदेजी तो वाहर चढीया । सगला साथसु जोईयांसु जाय नैदे ठालै हुवा । नीसांगी वीरमस माधि कुदाईयां जेहा मालाला । भापे भापे प्रावीयो .मोहिल मूछाला ॥ पाहु थट सलूझणा भाला · लूबाला । सा ज्या तोनै जोईयां सलपांण रढाला ॥ एकै कांनी दोलीयौ के वीरम छत्राला । मदो तेजा उथक्या . दल दो छै हीरा ॥ प्रोचक ढाहे दाढीयां तोह . उपर बीरा । वहादर मदो बधीयाद्रि मायं गहीरा ..।। - वार्ता .. वीरमदेजी घोड़ी षमसाय नै आपड़ीया । मदो सगला कटक आगै छै । तरै मदाने वीरमदेजी दीठो । तगै मदा उपरि वीरमदेजो नांषीया नै आय नै मदानै तरवारि वाही। सोतरवारि तूटि गई । तिणरी साख । ' नीसांणी चावष लायो सलपीयांण छिडता जिण धुटी । थे कुलई यां न मिसरी पुरसाण चिहुटी ॥ .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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