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________________ वीरवाण ... वार्ता . तरै वीरमदेनी देपाल, नै नाहर रो जबाव दीयो । जे थांहरा देसरो नाहर मांहरी वसीरा द्राव सगला मारीया सो थे मरवाया । तरै देपाल वीरमदेजी नै कह्यो । बड़ा ठाकुर इसड़ी वात. अनाकरी कांई करै । नाहर किणहीरा भरमाया लागै । थाहरै जो किण ही वात दिसा उपाव करणो हुवै तो थे जाणो । तिरण समीयारी । नीसांगी दला कु लाजै तसी लो झार. जूवारा । .. चोहिल सांजि अपणां वीर चडै सवारा ॥ तु. लेपो लपिवाईयै रेवंत सतारा । वीरम देस दिपावीया सिर देवण हारा ॥ .. वीरम न्याव. न भाव ही अनीयात्र पीयारा । सेई रोजे भिस्त नाय त्यां न्याव पीयारा ॥ • वार्ता देपालजी वीरमदेजी नै कह्यो थाहरै नै महिरै वात विगाडी छ । अबै लौकनै वरजनौ । विगाड़ करण देज्यो मतो । विगाड़ कीयो तो अबै विगली । तिण समीयारी । नीसांणी • राठोडां नै जोईयां कालाई न कंपै । अजकल्ह क आभ्रमण पग बहि सेजंपै ॥ नँडो घेह न लम्भही वीरमां मन दपे । सरणागति तुम अावीया जल नावक नपे ॥ सै नर वीरम दिठीयां किरणाला कंपे । मीजां सिसिरं छत्रालीयां देवंगां चषे ॥ सचा धरिया वीर. नाम जिण पुत्र सलपे । - ... वीरम जांण अजाण होइ भै देवण सपे ।। वार्ता देपालजी तो वीरमदेजी नै भोलभो देनै घरे आयो । तिण समै भाटी बूकण वैर सीयांण नाले आयौ । तरै देपालजी बूकण भाटी रै परणीयौ । तरै दोलै गहलौत राव वीरमदेजी नै.. . .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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