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________________ स्मरण कला ७५ और भूख, नुकसान और सट्टा । साहचर्य के ये छह प्रकार अलग २ शब्दो के साथ किस प्रकार सयोजित करने चाहिए इसके कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ। उनमें योग्य और अयोग्य का विवेक कैसे करना, यह भी बता रहा हूँ। (१) घोड़ा---गदहा [विरुद्धता] गुण मे विरुद्ध है। घोडा-गाय [समानता] दोनो खुरवाले चतुष्पद पशु हैं। घोडा-शीघ्रता [ तादात्म्य | घोड़े को देखकर शीघ्रता स्मृति मे आती है। घोडा-घास [निकटता] घोडे के पास घास पड़ा रहता है, पर यह बात निरन्तर नही, घोडे के पास कितनी ही बार घास पड़ा हुया होता है और कई बार नहीं भी । घोडे को देखते ही घास का स्मरण सरलता से होना मुश्किल है, जब कि असवार निकटता का द्योतक है। (२) सिंह-वाघ [समानता] दोनो हिंसक पशु है। । सिह-बकरी [विरुद्धता] एक बलवान है दूसरा निर्बल है । सिह-पराक्रम [तादात्म्य] सिंह-सिंहनी निकटता] सिंह-जगल [निकटता] (३) छोकरी-छोकरा [निकटता] छोकरी-वोकरी [विरुद्धता] यह ठीक नही है। उनमे बोली की समानता होती है, इसलिए समानता मे आती है। : छोकरी-आभूषण [तादात्म्य], छोकरियो को आभूषणो का बहुत शौक होता है। यह उचित नही, इसका समावेश निकटता मे होना चाहिए। (४) टेबुल-कुर्सी [ समानता ] दोनो व्यवहार मे काम आती है ठीक है, परन्तु जहाँ टेबुल रखी जाये वहाँ कुर्सी रखनी ही पडती है, इसलिए यहाँ निकटता की बात ज्यादा उपयुक्त है । टेबुल-देवात [निकटता]] टेबुल-क्लर्क [निकटता]
SR No.010740
Book TitleSmarankala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1980
Total Pages293
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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