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________________ प्रधानाचार्य श्री सोहनलाल जी श्री पूज्य अमरसिंह जी महाराज के समक्ष मैंने सम्यक्त्व ग्रहण किया है तब से मैं इसका प्रतिदिन जाप करता हूं। माता-बेटा, तुम प्रतिदिन सोने से प्रथम २१ दफ़ा इस मंत्र का जाप अवश्य किया करो। सोहनलाल-माता जी, इससे किस फल की प्राप्ति होती Choi माता-वेटा, इससे दप्ट स्वप्न नहीं आते, विघ्न बाधाएं अपने आप दूर हो जाती है और यदि कोई आपत्ति अचानक श्रा भी जाये तो वह शीघ्र दूर हो जाती है। ___ सोहनलाल-अच्छा, माता जी ! अब मैं सोने के पूर्व इम मंत्र का जाप प्रतिदिन अवश्य किया करूंगा। सोहनलाल जी ने उस दिन से णमोकार मंत्र का जाप प्रति दिन नियमपूर्वक करना आरम्भ कर दिया। सम्बडियाल से पसरूर अपने मामा के यहां चले जाने पर भी आपके इस नियम मे व्यक्तिक्रम नहीं पड़ा। इससे एक दिन आपको एक अद्भुत चमत्कार का अनुभव करने का अवसर मिला। ___ भाद्र पद मास कृष्ण पक्ष की एक अत्यन्त सुहावनी रात्रि थी। एक तो भाद्रपद मास की रात्रि का अन्धकार, दूसरे आकाश में बादलों के कारण उसमे और भी गहनता आगई थी । पर्युपण पर्व का अवसर था। सोहनलाल जी पसरूर मे अपने घर की छत पर आराम से सो रहे थे कि अचानक आप की अांख खुली और आपने करवट बदलने का विचार किया । आप करवट बदलने ही वाले थे कि आपके कान मे यह शब्द , पाए -
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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