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________________ णमोकार मंत्र का प्रभाव ६५ धागे की चलनी (छालनी) से शीतल जल निकाल कर राजा तथा प्रजा को चमत्कार दिखलाया था। इसी के प्रभाव से अमरकुमार ने राजा श्रेणिक द्वारा निर्मित धग-धग करती हुई अग्नि ज्वाला को शान्त कर धर्म का प्रभाव प्रकट किया था। इसी मंत्र पर श्रद्धा करके अञ्जन चोर आपत्तियों से मुक्त होकर अपने परलोक का साधन कर सका था। यद्यपि यह मंत्र इतना प्रभावशाली है, किन्तु आज जनता की श्रद्धा उसमें बहुत कम होगई है। किन्तु श्री सोहनलाल जी महाराज का चरित्र पढ़ने वालों को इस विपय में शंका करने को स्थान नहीं मिल सकता । सोहनलाल जी की माता लक्ष्मी देवी ने वाल्यावस्था से ही इस संत्र पर उनका श्रद्धान करा दिया था। एक दिन सम्बडियाल में पसरूर जाने से पूर्व माता लक्ष्मीदेवी ने सोहनलाल जी को अपने पास बुला कर उनसे पूछा माता-बेटा, तुम जानते हो कि नमस्कार मंत्र का कितना महत्व है ? सोहनलाल हां, माता जी ! आपने ही सुनाया था कि इसको पढ़ने से सब प्रकार के संकट टल जाते है, शुभ कर्मो का बंध होता है, सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं तथा पाप कर्मों का नाश होकर आत्म तेज प्रकट होता है। इस प्रकार यह मंत्र अनेक प्रकार के लाभ करके अनेक गुणों को उत्पन्न करता है। माता-बेटा, तुमको उसके प्रभाव का स्मरण ठीक ठीक याद है। तुम इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करते हुए इसके महत्व का ध्यान किया करो। सोहनलाल-माता जी, जव से परम पूज्य आचार्य प्रवर
SR No.010739
Book TitleSohanlalji Pradhanacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherSohanlal Jain Granthmala
Publication Year1954
Total Pages473
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size18 MB
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