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________________ ( २६४ ) स्मकती है कि जो कुछ अपनेको प्रत्यक्ष न दिखाई दे, वह कोई वस्तु ही नहीं है ! ___ जब कि सूक्ष्म पदार्थ देखनेके लिये साधनोंकी आवस्यकता होती है, तो ईश्वर जैसे सूक्ष्मसे भी सूक्ष्मतत्वको देखनेके लिये कोई विशेष साधन क्यों कर अवश्य नहीं ? साधन होनाही चाहिये । जिसके पास मूक्ष्मदर्शक यंत्र हो वह जिप्त प्रकार पानीके जीवोंको देख सकता है, वैसेही शुद्ध हृदयसे मिले हुए ज्ञानचक्षु जिसके हो, वही ईश्वरके देखने में समर्थ हो सकता है । यदि अपने पास सूक्ष्मदर्शक न हो तो अपन पानीके जंतुओंको नहीं देख सकते हैं, ऐसेही यदि अपने पास शुद्ध हृदयसे मिले हुए ज्ञानचक्षु न हो तो __ अपन ईश्वरकोभी नहीं देख सकते हैं । मूक्ष्मदर्शक यंत्र द्वारा देखने वाले मनुष्य जब अपनेकों कहदें कि पानीमें जतु हैं, __ तो अपन विना अपनी आंखोंसे देखे उनकी बात मान लेते हैं, दुर्वीनसे प्रत्यक्ष देखे विना और गणित किये विना, सूर्य अपनी पृथ्वी से ९१ करोड़ मील दूरी पर है, चन्द्र के अन्दर __ मैदान, पर्वतादि हैं, मंगलके वीच वडी २ नहरें हैं, खगोल मंडलमें अमुक ग्रह ऐसा और अमुक वैसा है, इत्यादि सारी बातें अपन बिना जांच परतालके सच्ची मानते हैं तो फिर इस देशके हजारों अपार बुद्धिमान् ऋषि महर्षि और मुनि नथा अन्य देशोंके बड़े २ साधु महात्माओंने अपने ज्ञानचक्षु द्वारा अनुभव करके
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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