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________________ ( १६९) करना इसरा नाम शोक और शोकको अरती भी कहते हैयानि हरक मिस वस्तुका दियोग और अप्रिय वस्तका सयोग और पगिय वस्तुका सयोग के लिये सताप करना उमश नाम गोर-- रन (गेना ) ये गोर बताने वाली पहारकी चाचिक महती ह यानि चित्तरे अदर जो शोक पैदा हुआ उसको लन करते -स्टन [21] यह गोकरी अत्यन्न अधिक ता मा पास्ते जपने गुदके [शरीर ] मस्तक, छाती, पेटमो टने इस नाम काया प्रति याने क.न है इस रीतिम तीनो जाती व्यारया करके पर उसका स्वरूप बनानेग माता वरूपाख्यान __ शोक, सम (रोना ) और पुट्टन (न्दना ) यह कोड वरन अन्त करन भावमे होता है और कोई वक्त मात्र टू सर लागोको रजित करनेको या सुदके अति स्नेहका दग बताने वास्ते बढी तरी होता है-जैसा कि पुनके मरने पर मा नाप, मरतारके मरनेपर उसकी स्त्री आदि अति स्नेही बहोत करके जन्त करणसे गोक रदन आदि करते हैं परन्तु थोडा स्नेह रखने वाले या अन्दरसे अभाव रखने वाले सगे सोई तथा मित्र वगैर बहोत करके स्तन करने है यह
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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