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________________ "गरोटारेके पोतु नः ("पितराद्ध) जिमा चासो चद्रायण न II, मिश्रक (गमा गाननिक गाल) जिमनेागमाजापन्य ना करना, और पुगण । माग दिसा गा) जिमनमानगे ग म पागा. १ नागा" नाद करनेसे मेतका हार होता सा पानिमाले गीयांसो पाद जीमनग दोष पर परना , पार कि गाद यह मरनेशारके पीछे कानेग गाा है और मोनार जीगनेवाको पायक्तिरेना पडता नीरमायग्मित तो हमेशा टोपी होता इससे मरनेदार पी जीपनमार गरना गा रिपेपरी-सपर कितना अन्य दर्शनीर मयुके शानी या ऐनगम जीमना जाता ही मी मागे माटम पर उनमें गन्दी पर नोकागदा उनी रापरता यर गानोना 'एमा माती पर-7 मपो सो मति पा मातरिम न पागा, माय, दहा त्याग परके तुगगरी मर्ग मारण पत्ता : उस पांडे नुसता गा दुपा पणा यह मा पि पांगी होता म मार्गक गरजा पूर्ण गरे । तिमिम मा पोन नगीमानो
SR No.010736
Book TitleJain Nibandh Ratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand J Gadiya
PublisherKasturchand J Gadiya
Publication Year1912
Total Pages355
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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