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________________ २. णमो सिद्धाणं- नमस्कार हो परब्रह्म परमात्मा विदेह, मुक्त सिद्ध भगवन्तों को। ३. णमो-पायरियाणं- नमस्कार हो श्री संघ के नायक आचार्य प्रवरों को। ४. गमो उवज्झायाणं-नमस्कार हो आगम-वेताधर्मशिक्षक उपाध्यायों को। ५. णमो लोए सव्वसाहूणं-- नमस्कार हो लोक में सभी उत्तम साधुओं को। एसो पंच णमोवकारो-इन पांच पदों को किया हुआ नमस्कार। सव्व पावप्पणासणो-अठारह तरह के सभी पापों का विनाश करनेवाला है। मंगलाणं च सम्वेसि-जितने भी द्रव्य-मंगल एवं भाव-मंगल है उनमें। पढम हवइ मंगलं- नमस्कार मन प्रथम श्रेणी का मगल है। इस मंत्र में किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं है। यह गुणमूलक मन्त्र है, क्योकि श्रमण-सस्कृति मानव को व्यक्ति-पूजक नही, गुण-पूजक बनने के लिए सदा से प्रेरणा देती आ रही है। व्यक्ति-पूजा से ऊपर उठकर गुणों की नमस्कार मन्त्र]
SR No.010732
Book TitleNamaskar Mantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Shraman
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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