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________________ २०६ वसुनन्दि-श्रावकाचार मिट्टी मृत्तिका मन हृदय मनोहारि मणि मट्टिया मण मणहारि मणि मणुन मणुयत्त मणुयत्तण मणुयलोय मणुस्स मणोराण मनुज मनुजत्व मनुजत्व मनुजलोक मनुष्य मनोज्ञ चित्तहारी रत्न मनुष्य मनुप्यत्व मनुप्यता मनुष्य-लोक मानव सुन्दर उन्मत्त, पागल MOHAMMA ३३७ ७१ मत्त केवल मात्र मर्दन मर्दल मार्दव ३२८ ४०६ २८७ मालिश वाद्यविशेप अभिमानका अभाव गर्व, नशा मैनफल पन्ना-मणि मद ४२० मदनफल मरकत मृत्वा १२६ मद्दण मद्दण मद्दव मय मयणफल मरगय मरिऊण मरित्ता मलग मलिण मल्ल मल्लिया महड्डि महड्डिय महण महप्पा महिय महियल महिला महिविट्ठ १८० १६५ मर करके मर्दन मैला माला पुष्पविशेष मलिन माल्य मल्लिका २९३ ४३२ २६६ १६२ ४६५ १९८ ८३३ ११३ महु महर्द्धिक मथन महात्मा महित, मह्य महीतल महिला महीपृष्ठ मधु मधुरान्न मथुरा मागध मान मान मानस मानसिक माता बडी ऋद्धिवाला विलोडन बडा पुरुप पूजित, पूज्य भूतल स्त्री भूपृष्ठ क्षौद्र, शहद मिष्टान्न मथुरा नगरी मगध देश, बंदीजन माप विशेष एक कषाय चित्त, अभिप्राय मन-संबंधी जननी महुरपण महुरा मागह माण माणस मागस्सिद माय मायर, माया ।
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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