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________________ प्राकृत-शब्द-संग्रह २०६ १८० निःकांक्षा निष्कारण निःखलन निष्क्रमण निक्षेपण निग्रह निघण ४५२ " णिक्कंखा णिक्करण णिक्खलण णिक्णमण णिक्खिवण णिग्गह णिग्घण णिग्घिण णिच्च णिच्छय णिज्जरण णिज्जरा णिज्जास णिट्ठवण णिट्टिय णिदुर कणिण्णासिऊण णित्थर X X X नित्य निश्चय निर्जरणं निर्जरा निर्यास निष्ठापन निष्ठित निष्ठुर निर्माश्य निस्तर निर्दिष्ट निद्रा निर्देश निंदनीय आकाक्षा रहित, सम्यक्त्वका गुण अकारण नाक, कान आदि छेदना निर्गमन, दीक्षार्थ प्रयाण स्थापन दंड, शिक्षा निर्दय करुणा-रहित निरन्तर निर्णय करना झडना, विनाश होना कर्मो का झड़ना रस, निचोड़, गोंद समाप्त करना, पूरा करना समाप्त किया हुआ कठोर, परुष नाश करके पार पहुँचना कथित, प्रतिपादित नीद नाममात्र कथन निन्दाके योग्य बदनामी सम्पन्न, पूरा होना प्रतिपक्षी-रहित फलरहित बुद्धि-रहित भर्सन किया जाता हुआ ३७७ ५१५ २२६ 0 0 ० णिद्दिट्ट णिहा ० णिद्देस जिंदणिज्ज गिंदा णिप्परण णिप्पडिवक्ख ८ or ou निन्दा ४३८ ४६२ णिप्फल णिब्बुद्धी २३६ ११५ ११७ तल्लीन १११ २१४ ३२६ निष्पन्न निष्प्रतिपक्ष निष्फल निर्बुद्धि निर्भर्थद् निमम निज निवृत्ति निवृत्य नियम नियम्य निजक निकर निदान नरक निरवद्य निरपराध निरुपम निरोध २२१ कणिब्मच्छिज्जंत णिमण्ण णिय णियत्ति "णियत्ताविऊण णियम गणियमिऊण णियय गियर णियाण णिरय णिरवज णिरवराह णिरुवम णिरोह २८२ अपना प्रवृत्तिका निरोध लौटाकर : प्रतिज्ञा, व्रत नियमन करके निजका, अपना समूह आगामी-भोग-वॉछा नारक भूमि निर्दोष अपराध-रहित उपमा-रहित, अनुपम रुकावट ४२५ २०१ १२६ २२६ ३८८
SR No.010731
Book TitleVasunandi Shravakachar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1952
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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